(बृहदारण्यक उपनिषद् से) प्रियतम आत्मा के लिए ही अन्य वस्तुएं प्रिय होती है।
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(बृहदारण्यक उपनिषद् से) प्रियतम आत्मा के लिए ही अन्य वस्तुएं प्रिय होती है।
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स्वसंवेद्योपनिषद् , 'स्व' आत्मतत्व का संवेद्य-अनुभव प्राप्त करना इस उपनिषद् का प्रयोजन है।
Published 07/08/22
Published 07/08/22