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स्वसंवेद्योपनिषद् , 'स्व' आत्मतत्व का संवेद्य-अनुभव प्राप्त करना इस उपनिषद् का प्रयोजन है।
Published 07/08/22
Published 07/08/22
शारीरिकोपनिषद्, कृष्ण यजुर्वेद से सम्बद्ध है। इसमें कुल 20 मंत्र हैं। इसमें सृष्टि प्रकृया का विशद वर्णन है।
Published 07/08/22
वज्रसूचिकोपनिषद् , सामवेद से सम्बद्ध है। इसमें कुल 9 मंत्र हैं। ब्रह्मभाव से सम्पन्न मनुष्य को ही सच्चा ब्राह्मण कहा जा सकता है, यही इस उपनिषद् में बताया गया है।
Published 07/08/22
भिक्षुकोपनिषद् शुक्ल यजुर्वेदीय उपनिषद् है। इसमें आत्मकल्याण एवं लोक कल्याण हेतु भिक्षा चर्या द्वारा जीवन यापन करने वाले संन्यास धर्म का संक्षिप्त किन्तु प्रभाव पूर्ण वर्णन किया गया है।
Published 06/25/22
परमहंसोपरनिषद् , शुक्ल यजुर्वेदीय है इस लघुकाय उपनिषद् में महामुनि नारद ने भगवान ब्रह्मा जी से परमहंस की स्थिति और मार्ग के विषय में पूछा है।
Published 06/21/22
तुरीयातीतोपनिषद्
Published 06/18/22
द्वयोपनिषद् में द्वय की उत्पत्ति और स्वरूप का बड़े ही रहस्यमय ढंग से प्रतिपादन किया गया है।
Published 06/18/22
आश्रमोपनिषद्, बड़ी ही महत्वपूर्ण है। यह अथर्ववेद से सम्बद्ध है। इसमें आश्रम व्यवस्था-ब्रह्मचर्य गृहस्थ वानप्रस्थ एवं संन्यास, इन चारों आश्रमों के विभिन्न पक्षों एवं उनके अनुशासनों का संक्षिप्त वर्णन किया गया है।
Published 06/18/22
आरुण्युपनिषद, सामवेदीय मानी जाती है।इसे आरुणिकोपनिषद् के नाम से भी जाना जाता है। इसमें आरुणि की वैराग्य जिज्ञासा के उत्तर में ब्रह्मा जी ने संन्यास में दीक्षित होने के सूत्र समझाये हैं।
Published 06/18/22
जाबाल्युपनिषद, सामवेद से सम्बद्ध है। जिसमें पिप्पलाद पुत्र पैप्पलादि और भगवान जाबालि का परम तत्व के विषय में प्रश्नोत्तर है।
Published 06/18/22
भ्रामरी देवी की देवताओं द्वारा स्तुति। देवी भागवत से 10/13/87-103. प्रस्तुति स्वामी सिद्धिप्रदानन्द।
Published 02/13/22
अक्रूरजी के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति, श्रीमद्भागवत 10/40/17-30.पाठ-स्वामी सिद्धिप्रदानन्द।
Published 02/09/22
गंगा स्तोत्र, श्रीमत देवी भागवते, नवमस्कन्धे द्वादश अध्याये १८-४४ श्लोके भीष्माष्टमी के अवसर पर आज दिनांक 08.01.2022को स्वामी सिद्धिप्रदानन्द द्वारा पाठ किया गया।
Published 02/08/22
स्वामी विवेकानन्द जी की संक्षिप्त जीवनी। स्वामी सिद्धिप्रदानन्द द्वारा पाठ किया गया है।
Published 01/11/22
(बृहदारण्यक उपनिषद् से) प्रियतम आत्मा के लिए ही अन्य वस्तुएं प्रिय होती है।
Published 01/08/22
दया का फल
Published 09/16/21
बिना विचारे जो करे,सो पाछे पछताय
Published 09/16/21
लालची राजा
Published 09/16/21
सच्चा लकड़हारे
Published 09/16/21
भला आदमी
Published 09/16/21
श्रीगणेश कीर्तन (पाहि पाहि गजानना)
Published 09/12/21
श्रीगणेशपंचरत्नम् (श्रीशंकराचार्य विरचितम्) स्वामी सिद्धिप्रदानन्द महाराज द्वारा पाठ किया गया।
Published 09/11/21
श्री महागणेशपंचरत्नस्तोत्रम् (श्री शंकराचार्य कृतम्) स्वामी सिद्धिप्रदानन्द महाराज द्वारा पाठ किया गया।
Published 09/11/21