Mahabharat Ka Mahaparv No. 2 Dwaipayan Krishn Ved Vyas Ka Janm
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Description
Episode 2 of the conversations between Yogita Pant and Anil Chawla describes the series of events leading to the birth of Dwaipayan Krishn who was later called as Ved Vyas. There was a king named Uparichar son of Paurav who was king of Chedidesh. King Uparichar was blessed by Devraaj Indr. Girikaa was the daughter of a mountain named Kolaahal and a river named Shuktimatee. Uparichar had married Girikaa and wanted to mate with her. However, by a strange turn of events the king’s semen fell in Yamuna River where it was ingested by a fish. In due course, the fish was caught by fishermen. On cutting the fish, two children (a boy and a girl) were found. The girl had a strong smell of fish. The king handed over the girl to Daashraaj, the king of fishermen. The girl was named Matsyagandha, but was later called Satyavatee. She was a beautiful girl and used to row a boat. Once a rishi named Parashar sat in her boat. The mating of Rishi Parashar with Satyavatee led to a child being born immediately after the intercourse. The kid was dark skinned and hence was called Krishn. He was left on an island in Yamuna and was hence called Dwaipayan. The kid was born with extraordinary abilities. He knew the Vedas at the time of birth and wanted to do tapasya immediately after birth. (Mahabharat/Aadiparv/Anshaavtarn Parv/Chapter 61 and 63). Production support: Friends and well-wishers.   *****   महाभारत और वाल्मीकि रामायण हिन्दू धर्म के दो मूलभूत आधार ग्रन्थ हैं। रामायण में राम के जीवन का वर्णन किया गया है। इसके विपरीत महाभारत किसी एक व्यक्ति के जीवन पर केंद्रित नहीं है। द्वैपायन कृष्ण, जिन्हें महर्षि वेद व्यास भी कहा जाता है, तथा वासुदेव कृष्ण (जिन्हें मुरलीधर, गिरिधर, गोपाल, गोविन्द, माधव इत्यादि अनेक नामों से जाना जाता है) महाभारत के सूत्रधार भी हैं और आत्मा भी। बाहरी रूप से महाभारत कुरु राजवंश में पाण्डुपुत्रों (पांडवों) और धृतराष्ट्रपुत्रों (कौरवों) के संघर्ष की कथा प्रतीत होती है। पर महाभारत एक परिवार की आपसी कलह से कहीं बड़ा है। यह ज्ञान का एक ऐसा विशाल भण्डार है जो जीवन के हर पहलू के सम्बन्ध में शिक्षा प्रदान करता है। इसमें जो संघर्ष है वह भिन्न भिन्न जीवन मूल्यों का द्वन्द्व है। जिन मूलभूत मूल्यों एवं आदर्शों के लिए राम ने रावण से युद्ध किया, उन्हीं को स्थापित करने और सशक्त करने के लिए द्वैपायन कृष्ण और वासुदेव कृष्ण भी अथक अनवरत प्रयास करते हैं। उनके इन प्रयासों की कथा ही महाभारत है। इस कथा को जान कर, समझ कर और उससे प्राप्त शिक्षा को आचरण में उतार कर हम अपने जीवन को सु
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