Draupadee Janm Katha Aur Swayamvar Samaachaar Mahabharat Ka Mahaparv No. 30
Description
द्रौपदी जन्म कथा और स्वयंवर समाचार
00:00 परिचय एवं भूमिका
01:02 द्रौपदी के स्वयंवर के बारे में जानकारी
02:53 पराजय के बाद द्रुपद की योग्य पुत्र की चाह
06:49 ऋषि याज द्वारा द्रुपद को पुत्र प्राप्त कराने हेतु सहमति
08:41 द्रुपद की रानी श्रृंगार में व्यस्त
13:06 पुत्र धृष्टद्युम्न तथा पुत्री कृष्णा का यज्ञ से जन्म
17:09 द्रुपद के मन में अर्जुन को दामाद बनाने की इच्छा
17:48 द्रुपद की रानी की चिंता
21:38 पांडवों का स्वयंवर में जाने का मन
24:02 महर्षि वेद व्यास ने द्रौपदी के पूर्वजन्म की कथा सुनाई
29:05 उपसंहार
Episode 30 of the conversations between Yogita Pant and Anil Chawla discusses the story of birth of Krishnaa / Draupadee daughter of King Drupad and also of the birth of Dhrushtdyuman son of King Drupad. The story was narrated to the Pandavs by a Brahmin who visited their host in Ekchakra. After losing half his kingdom to Guru Dron, Drupad was extremely disturbed. He felt that none of his sons and relatives were capable and talented. Drupad wanted a son who could defeat Guru Dron. He also wanted a daughter who would be suitable to become queen of Arjun. Drupad convinced Rushi Yaaj to do a yagya for getting such a son and a daughter. Krishnaa and her brother emerged out of fire. The visiting Brahmin also told the Paandavs that a swayamvar of Draupadee had been planned by King Drupad. Maharshi Ved Vyas also visited the Paandavs and instructed them to proceed to Panchaal-nagree where the swayamvar was going to take place. He also narrated the story of earlier life of Draupadee and how she had been blessed to have five husbands. (Mahabharat/Aadiparv/Chaitrrath Parv/Chapters 164, 165, 166, 167 and 168).
Production support: Friends and well-wishers.
*****
महाभारत और वाल्मीकि रामायण हिन्दू धर्म के दो मूलभूत आधार ग्रन्थ हैं। महाभारत जीवन के हर पहलू के सम्बन्ध में शिक्षा प्रदान करता है। इसमें जो संघर्ष है वह भिन्न भिन्न जीवन मूल्यों का द्वन्द्व है। जिन मूलभूत मूल्यों एवं आदर्शों के लिए राम ने रावण से युद्ध किया, उन्हीं को स्थापित करने और सशक्त करने के लिए द्वैपायन कृष्ण और वासुदेव कृष्ण भी अथक अनवरत प्रयास करते हैं। इस कथा को जान कर, समझ कर और उससे प्राप्त शिक्षा को आचरण में उतार कर हम अपने जीवन को सुखद एवं समृद्ध बना सकते हैं।
Mahabharat and Valmiki Ramayan are the two fundamental foundation epics of Hinduism. Mahabharat teaches one about every aspect of life. The struggle in the epic is the clash between two different life-values. Dwaipaayan Krishn and Vaasudev Krishn put in relentless and continuous efforts to establish and strengthen the same fundame
चित्ररथ की अर्जुन द्वारा पराजय और मित्रता
00:00 परिचय एवं भूमिका
01:02 पांडवों का गंगा तट पर आगमन
02:28 गंधर्वराज अंगारपर्ण का अर्जुन को धमकाने का प्रयास
05:17 अर्जुन का बिना डरे साहसपूर्ण स्पष्ट उत्तर
07:00 अंगारपर्ण द्वारा आक्रमण और अर्जुन के अस्त्र से पराजय
09:47 पत्नी की प्रार्थना पर...
Published 11/15/24
कुन्ती युद्धिष्ठिर धर्म चर्चा, नरभक्षी बक का वध
00:00 परिचय एवं भूमिका
01:02 युद्धिष्ठिर माता कुन्ती के निर्णय से असहमत
04:08 कुन्ती द्वारा धर्म के आधार पर उत्तर
09:40 माता कुन्ती के तर्क सुन युद्धिष्ठिर सहमत हुए
11:51 भीम स्वयं ही खाने लगे नरभक्षी राक्षस का भोजन
14:26 बक और भीम का युद्ध...
Published 10/26/24