वाल्मीकि रामायण के राम क्र० १०९ भरत की परीक्षा राम की अयोध्या में वापसी और राज्याभिषेक
Listen now
Description
राम कही हनुमान से, गया न होवे डोल। प्रिय भरत राजलोभ से, इक बार लो टटोल।।   हनुमन ये शंका लिए, गये भरत के पास। प्रेम भरत का देख के, शंका होई नास।।   सब ओर आनंद भयो, वन से लौटे राम। भरत राज्य दीयो सौंप, ये ना अपनो काम।।   Episode 109 of the conversations between Yogita Pant and Anil Chawla marks the end of the story of Ram. After deciding to spend the night at Muni Bhardwaj, Ram asked Hanuman to visit Ayodhya and inform Bhart about Ram’s victory and planned return to Ayodhya. Ram instructed Hanuman to carefully observe Bhart and try to guess Bhart’s thoughts. Ram was not sure if Bhart would like to welcome him. Ram confided to Hanuman that power over such a rich kingdom can make anyone clip. Ram told Hanuman that if Bhart was not interested in handing over the reign to Ram, he would not go to Ayodhya and would instead go elsewhere. Hanuman rushed to Ayodhya. He informed Bhart about Ram’s victory over Raavan and imminent return. Bhart was jubilant. Bhart embraced Hanuman and showered him with gifts. Next day, Ram returned to Ayodhya and was welcomed with enthusiasm and festivities by Bhart and everyone at Ayodhya. Soon after his return, Ram was crowned as the king of Ayodhya. (Ref. Chapters 125-128, Yuddh Kand, Shreemad Valmikiy Ramayan)    बंधुओं, राम कथा की यह श्रृंखला (वाल्मीकि रामायण के राम) अब संपन्न हो गयी है। अयोध्या में राम का राज्याभिषेक हो गया है। इसके पश्चात इस श्रृंखला में हम दो प्रकरण प्रश्नोत्तर और कुछ सैद्धांतिक विषयों के स्पष्टीकरण हेतु रखना चाहते हैं। हमारे सभी सुधी दर्शकों और श्रोताओं से विनम्र अनुरोध है कि श्रृंखला के आधार पर या राम के जीवन से सम्बंधित आपके मन में कोई भी जिज्ञासा / प्रश्न है तो उसे हमें भेजने का कष्ट करें। हम प्रयास करेंगे कि आपको अपनी सीमित बुद्धि और अल्प ज्ञान से यथासंभव समुचित उत्तर प्रदान किया जाए।   श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण विश्व का प्राचीनतम ग्रन्थ है। इसे आदिग्रन्थ कहा गया है। इसमें राम के जीवन का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। इसमें राम का चित्रण एक ऐसे मनुष्य के रूप में किया गया है जो संघर्ष करता है, परिश्रम करता है, जीवन के द्वन्द्वों का सामना करता है, अपने सहयोगियों एवं निकटस्थ व्यक्तियों से चर्चा करता है और विद्वतजनों से मार्गदर्शन प्राप्त करता है। वह धर्म एवं आदर्श के पथ से कभी हटता नहीं है। उन्ह
More Episodes
चित्ररथ की अर्जुन द्वारा पराजय और मित्रता   00:00 परिचय एवं भूमिका 01:02 पांडवों का गंगा तट पर आगमन 02:28 गंधर्वराज अंगारपर्ण का अर्जुन को धमकाने का प्रयास 05:17 अर्जुन का बिना डरे साहसपूर्ण स्पष्ट उत्तर 07:00 अंगारपर्ण द्वारा आक्रमण और अर्जुन के अस्त्र से पराजय 09:47 पत्नी की प्रार्थना पर...
Published 11/15/24
द्रौपदी जन्म कथा और स्वयंवर समाचार  00:00 परिचय एवं भूमिका 01:02 द्रौपदी के स्वयंवर के बारे में जानकारी 02:53 पराजय के बाद द्रुपद की योग्य पुत्र की चाह 06:49 ऋषि याज द्वारा द्रुपद को पुत्र प्राप्त कराने हेतु सहमति 08:41 द्रुपद की रानी श्रृंगार में व्यस्त 13:06 पुत्र धृष्टद्युम्न तथा पुत्री कृष्णा...
Published 11/07/24