वाल्मीकि रामायण के राम क्र० १०७ सीता का अग्निप्रवेश वानरों के लिए राम ने देवराज से वर माँगा
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वानर शव देख राम रोए। सबै देव हाथ जोड़ आए।। मन में का है राघव बोलो। इंद्र कही जो चाहे ले लो।।   वानर रीछ लंगूर जो मरे। जी उठें निरोग होवें खड़े।। चोट अंग-भंग ठीक होएं। देवराज से राघव चाहें।।  Episode 107 of the conversations between Yogita Pant and Anil Chawla starts with Seeta entering the flames of the pyre prepared by Lakshman. There was commotion all around on seeing Seeta enter the flames. All devtas, Brahma (the Creator), Mahadev (Shiv), Yamraaj, and Varun along with all ancestors came there and pleaded with folded hands to Ram to not remove his heart from Seeta. Brahma told Ram that he was Vishnu incarnate and Seeta was Laxmi incarnate. Agni devta came out of fire with Seeta in his lap holding her like a father carries his daughter. Agni dev asked Ram to accept Seeta. Ram consented. Mahadev (Shiv) praised Ram and asked him to meet Maharaj Dashrath, his father. Maharaj Dashrath was extremely pleased to meet his illustrious victorious son. Ram decided to use the happy mood of his father to ask him to remove the curse on Kaikeyee and Bharat. Maharaj Dashrath was too happy to refuse. Devraj Indr told Ram to ask for whatever he wishes. Ram asked that all dead soldiers of Vaanar Sena should become alive again; they as well as all wounded soldiers of the Sena should become healthy, disease-free and full of strength and vitality. Further, fruits and flowers should be in abundance all through the year; and rivers should flow well wherever these soldiers live. Indr granted the boons.   (Ref. Chapters 116-120, Yuddh Kand, Shreemad Valmikiy Ramayan)    बंधुओं, राम कथा की यह श्रृंखला (वाल्मीकि रामायण के राम) अन्तिम पड़ाव की ओर अग्रसर है। रावण का दाह संस्कार हो गया है। विभीषण का राज्याभिषेक भी हो गया है। सीता और राम का पुनर्मिलन भी हो गया है। राम अपने भ्राता लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वापिस अयोध्या के लिए प्रस्थान करेंगे। अयोध्या में राम के राज्याभिषेक के पश्चात इस श्रृंखला में हम लगभग दो प्रकरण प्रश्नोत्तर और कुछ सैद्धांतिक विषयों के स्पष्टीकरण हेतु रखना चाहते हैं। हमारे सभी सुधी दर्शकों और श्रोताओं से विनम्र अनुरोध है कि श्रृंखला के आधार पर या राम के जीवन से सम्बंधित आपके मन में कोई भी जिज्ञासा / प्रश्न है तो उसे हमें भेजने का कष्ट करें। हम प्रयास करेंगे कि आपको अपनी सीमित बुद्धि और अल्प ज्ञान से यथासंभव समुचित उत्तर प्रदान किया जाए।   *****   श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण विश्व का प्राचीनतम ग्रन्थ है। इसे आदिग्रन्थ कहा गया है। इसमें राम के जीवन का विस्तारपूर्
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