वाल्मीकि रामायण के राम क्र० ९८ निकुम्भ मकराक्ष का वध और इन्द्रजित का युद्ध से भागना
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Description
सुग्रीव के हाथों कुम्भ मरो। पवनपुत्र निकुम्भ को मारो।। खर का पूत भी मारो गयो। मेघनाद डर के भाग गयो।।   Episode 98 of the conversations between Yogita Pant and Anil Chawla describes the battles after killing of Kumbh, son of Kumbhkarn. Nikumbh, Kumbh’s brother was infuriated seeing his brother being killed. Nikumbh moved forward with a deadly parigh. However, Nikumbh was no match for Veer Hanuman’s strength. Hanuman used his hands to pull Nikumbh’s head away from the body. After hearing of the death of both the sons of Kumbhkarn, Raavan was infuriated and worried. Raavan ordered Khar’s son Makaraksh to go to the battlefield and kill Ram and Lakshman. The young man was very happy and enthusiastic. But his enthusiasm and confidence were no match for Ram’s arrows. Makaraksh was killed by Ram after a brief battle. When Raavan heard that Makaraksh was killed and his army routed, he called on his son Meghnaad (also called Indrajit) to go to the battlefield and kill Ram and Lakshman by all means available. Indrajit came to fight in his well-decorated chariot. He used the technique of becoming invisible. Indrajit lifted himself up in the sky over the Vaanar Sena and started showering arrows first on Vaanar Sena and then on Ram and Lakshman. The two brothers could not see Indrajit and were hence at a great disadvantage. After shedding much blood, Lakshman was infuriated and wanted to use Brahmaastr to finish the whole Raakshs race. Ram stopped Lakshman and said that he would now use his special weapons to kill Indrajit. Hearing this, Indrajit ran away from the battlefield to the safety of Lanka city. (Ref. Chapters 77-80, Yuddh Kand, Shreemad Valmikiy Ramayan)    *****   श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण विश्व का प्राचीनतम ग्रन्थ है। इसे आदिग्रन्थ कहा गया है। इसमें राम के जीवन का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। इसमें राम का चित्रण एक ऐसे मनुष्य के रूप में किया गया है जो संघर्ष करता है, परिश्रम करता है, जीवन के द्वन्द्वों का सामना करता है, अपने सहयोगियों एवं निकटस्थ व्यक्तियों से चर्चा करता है और विद्वतजनों से मार्गदर्शन प्राप्त करता है। वह धर्म एवं आदर्श के पथ से कभी हटता नहीं है। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। उनके जीवन का हर प्रसंग शिक्षाप्रद है, प्रेरणादायक है। चर्चा की इस श्रृंखला का उद्देश्य दर्शकों को राम के जीवन से परिचित कराना है। राम के जीवन को जान कर, समझ कर और आचरण में उतार कर हम अपने जीवन को सुखद एवं समृद्ध बना सकते हैं। समस्त सुधीजनों को अनेकानेक शुभकामनाओं के साथ विनम्रतापूर्वक समर्पित।   Valmiki Ramayan is the original epic which narrates the story of Ram. It is a detailed work which describes Ram as a human being who faced all the difficulties of life. Ram of Valmikiy Ra
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