Paandvon Kee Vaapsee Aur Bheem Kee Hatyaa Kaa Prayaas Mahabharat Ka Mahaparv No. 17
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पाण्डवों की वापसी और भीम की हत्या का प्रयास 00:00 परिचय एवं भूमिका 01:02 कुन्ती एवं पाण्डुपुत्रों की हस्तिनापुर वापसी 07:42 युद्धिष्ठिर के साथ अन्याय 10:21 सत्यवती, अम्बिका और अम्बालिका का प्रस्थान 14:04 भीम की हत्या की कुटिल योजना 19:19 भीम को विष खिलाया 21:55 भीम के निर्जीव से शरीर को जल में फेंका 24:27 नागलोक में भीम को दस हजार हाथियों का बल मिला 29:34 कुंती एवं युद्धिष्ठिर परेशान 31:28 विदुर द्वारा कुंती को चुप रहने की सलाह 33:58 विषनाशक खीर खा कर भीम की वापसी 36:34 पुनः भीम की हत्या का प्रयास और पांडवों की चुप रहने तथा सहने की नीति 40:35 उपसंहार Episode 17 of the conversations between Yogita Pant and Anil Chawla discusses the events after death of Paandu and Maadree. Kuntee and sons of Paandu returned to Hastinaapur accompanied by rishis. Various rituals related to death of Mahaaraj Paandu were carried out. However, there was no coronation of Yudhishthir. Sensing the bad times that were ahead Maharshi Ved Vyas advised Satyavatee to leave Hastinaapur. Satyavatee accompanied by her daughters-in-law Ambikaa and Ambalikaa left Hastinaapur. They died in the forest after some time. Duryodhan and his brothers were not happy with the return of five sons of Paandu. They noticed that Bheem was clearly the strongest. Bheem was able to beat everyone in all sports. Bheem could even carry ten children of his own age. Duryodhan looked at Bheem’s strength as a threat to his dream of becoming king. He planned to kill Bheem by poisoning him and throwing the body in river. Duryodhan executed his meticulously planned strategy. However, by a strange turn of events, Bheem survived and returned with the strength of ten thousand elephants and with the ability to digest any poison.  (Mahabharat/Aadiparv/Sambhav Parv/Chapters 125-128).  Production support: Friends and well-wishers.  *****  महाभारत और वाल्मीकि रामायण हिन्दू धर्म के दो मूलभूत आधार ग्रन्थ हैं। महाभारत जीवन के हर पहलू के सम्बन्ध में शिक्षा प्रदान करता है। इसमें जो संघर्ष है वह भिन्न भिन्न जीवन मूल्यों का द्वन्द्व है। जिन मूलभूत मूल्यों एवं आदर्शों के लिए राम ने रावण से युद्ध किया, उन्हीं को स्थापित करने और सशक्त करने के लिए द्वैपायन कृष्ण और वासुदेव कृष्ण भी अथक अनवरत प्रयास करते हैं। इस कथा को जान कर, समझ कर और उससे प्राप्त शिक्षा को आचरण में उतार कर हम अपने जीवन को सुखद एवं समृद्ध बना सकते हैं। Mahabharat and Valmiki Ramayan are the two fundamental foundation epics of Hinduism. Mahabharat teaches one about every aspect of life. The struggle in the epic is the clash b
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