Brahmin Parivaar Kaa Aapsee Prem – Kuntee Kaa Sahaytaa Prastaav Mahabharat Ka Mahaparv No. 28
Description
ब्राह्मण परिवार का आपसी प्रेम - कुन्ती का सहायता प्रस्ताव
00:00 परिचय एवं भूमिका
01:02 महर्षि वेद व्यास का पांडवों से मिलन
05:48 पाण्डवों का एकचक्रा में ब्राह्मण के घर निवास
12:46 भिक्षा द्वारा पाण्डवों का जीवनयापन
16:16 ब्राह्मण के घर में दुःख से द्रवित कुन्ती
20:47 ब्राह्मण का विलाप और सपरिवार बलिदान की इच्छा
26:13 ब्राह्मण पत्नी की मृत्यु को आलिंगन करने की घोषणा
29:41 ब्राह्मण कन्या का पिता से उसका परित्याग करने का आग्रह
32:40 कुंती को राक्षस बक के बारे में बताया
36:10 कुंती द्वारा अपने पुत्र को बक के पास भेजने का प्रस्ताव
37:12 ब्राह्मण ने कुन्ती के प्रस्ताव को नकारा फिर मान लिया
40:23 उपसंहार
Episode 28 of the conversations between Yogita Pant and Anil Chawla discusses the events and developments after Maharshi Ved Vyas met Paandavs in the forest and took them to Ekchakraa Nagree. Maharshi helped them by arranging their stay in the house of a Brahmin family. Paandavs took to begging as a means of livelihood. One day, Bheem had not gone for begging. Kuntee and Bheem heard their host Brahmin family crying loudly. Brahmin, his wife and his daughter – each of them wanted to sacrifice his / her life, but could not decide who should go. Kuntee asked them the reason for the crisis in their lives. Brahmin explained that there was a cannibal raakshas named Bak. Every day one family of the city (by turns) was required to send huge quantity of cooked rice, two buffaloes and a human being for the cannibal raakshas. Next day was their turn and it was devastating for their family. Kuntee said that they need not worry. Her son, Bheem, will go instead of any of them and will face the raakshas. Initially, the Brahmin was hesitant but later agreed to the proposal. (Mahabharat/Aadiparv/Hidimbvadh Parv & Bakvadh Parv/Chapters 155, 156, 157, 158, 159 and 160).
Production support: Friends and well-wishers.
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महाभारत और वाल्मीकि रामायण हिन्दू धर्म के दो मूलभूत आधार ग्रन्थ हैं। महाभारत जीवन के हर पहलू के सम्बन्ध में शिक्षा प्रदान करता है। इसमें जो संघर्ष है वह भिन्न भिन्न जीवन मूल्यों का द्वन्द्व है। जिन मूलभूत मूल्यों एवं आदर्शों के लिए राम ने रावण से युद्ध किया, उन्हीं को स्थापित करने और सशक्त करने के लिए द्वैपायन कृष्ण और वासुदेव कृष्ण भी अथक अनवरत प्रयास करते हैं। इस कथा को जान कर, समझ कर और उससे प्राप्त शिक्षा को आचरण में उतार कर हम अपने जीवन को सुखद एवं समृद्ध बना सकते हैं।
Mahabharat and Valmiki Ramayan are the