Episodes
A Father’s Scars
By Sarvajeet Chandra
I scrubbed myself clean,
Of your dissapproval, doubting hands.
Your expectations, harsh demands,
Your stinging sarcasm, cold reprimands.
I cleansed my soul, in a valley of stars,
Far from the shadows, far from your scars.
I healed myself of your bitterness,
Unsung songs, untold tales of distress.
Your haunting loneliness, disdain,
Your broken heart, silent screams of pain.
With threads of night, I wove my dreams,
Stitched in secret,...
Published 09/14/24
रहगुज़र - सर्वजीत
कुछ रास्ते ऐसे होते हैं कि
इन्सान को मुसाफ़िर बना देते हैं
अगर भूल जाओ, हस्ती को अपनी
मंज़िल होगी कहीं, इसका गुमान देते हैं
बैठे बैठे सोचते हैं अक्सर कभी
बिछड़ा शहर, आँगन कैसा होगा
जिस घर को छोड़ दिया पीछे
उस घर में राह कोई देखता होगा
रास्तों में उलझा रहा अपना सफ़र
घर कभी ना फिर कोई नसीब हुआ
अकेले दौड़ती रही उम्मीद, तमन्ना
ना हमसफ़र, ना कोई अज़ीज़ हुआ
क्या यह है सफ़र की इंतिहा
कि राह भी थक कर सो गयी है
हम रुके नहीं चलते ही रहे
मंजिले सराब में खो सी...
Published 09/02/24
तुम्हारे हिस्से की मोहब्बत - सर्वजीत
तुम भूल जाओ बेशक ,याद करो न कभी
उजड़े घर में तुम्हारी खुशबू अब भी आती है
तुम्हारा दीदार, सूखे सावन जैसा इंतज़ार
तुम्हारे हिस्से की तन्हाई अभी बाकी है
तुम छोड़ दो मुझे बेबस ,मँझधार में कहीं
तुम्हारी बेवफ़ाई में विवशता नज़र आती है
सूनी रात, सूने तारों से लिपटा आसमान
तुम्हारे हिस्से की रुसवाई अभी बाकी है
ख़ुदा ने उड़ा दिया साथ बैठे दो परिंदों को
झूलती हुई डाल में तुम्हारी याद ताजी है
ना मिलीं तुम, छान लिया मोहल्ला,...
Published 12/13/23
When Love is Gone - Sarvajeet
When love is gone,
Our hearts sink deep,
Into a cold ocean bed,
Feelings disperse in winter winds.
Weary silence sits in once-fun-filled rooms,
Pets run away and become wild,
Stars that sparked our nights darken and dim.
Regrets sneak into a colourless world,
Our cozy house crumbles to dust,
Birds visiting our garden, do not sing.
Our words become knives,
Emptiness fills spaces between the sheets,
We are deaf to each other's...
Published 11/23/23
तेरे दिल का रास्ता - सर्वजीत
जीवन की शाम जब आती है
तो घर के लिये दिल मचलता है
उम्र गुज़र गई, हम ढूँढते ही रहे
किस मोड़ पर तेरे दिल का रास्ता है
तेरी आरज़ू चंद कवितायें बन गयीं
तेरी हसरतों की हसरत करते ही रहे
अगर ग़ौर से पढ़ती, इल्म होता तुम्हें
मेरे लफ़्ज़ों में तेरा अक्स झलकता है
एक पौधा हूँ जो कभी उगा ही नहीं
अनखिली कलियों का दम भरता है
तनहाइयों से काम चलता है लेकिन
तेरी क़ुर्बत के लिए दिल तरसता है
एक मिट्टी से बनी हम दोनों की रूह
एक लय पर अपना दिल धड़कता है...
Published 09/28/23
तुम्हारी परिभाषा - सर्वजीत
तुम अपनी जाती नहीं हो
ना धर्म, ना आधार का नंबर
ना लिबास, ना हुलिया
ना अपनी औपचारिकता
ना बैंक बैलेंस, न दर्जा
ना तुम्हारे बारे में किसी की राय
ना अपनी परिस्थितियों की उपज
ना तुम्हारा अहंकार, ना किसी दौड़ के चूहे
तुम तुम्हारे शब्द हो, और खामोशियाँ भी
अपनी हँसी की शरारत हो, ज़ोर सा ठहाका
वह गाथाएँ, उपन्यास, किताबें जो तुमने पढ़ी हैं
वो गाँव-शहर जहाँ तुमने जीवन बिताया है
तुम्हारे पिता का गर्व से उठा हुआ सर हो
माँ के मुन्ना-मुन्नी, गंगा जमुना...
Published 08/19/23
A Voyage to the Edge - Sarvajeet D Chandra
The cosy comforts we cling to
In every aspect, constrict our view
Venture out, be uncomfortable, alone
Life blossoms at the edge of comfort zone
The frontier calls, there are new things to see
Possibilities are endless, you may truly be free
How far you could’ve gone, what you might’ve been
It’s never too late to live a life of your dreams
Leave the harbour, let shores fade fade from view
Start afresh, a new challenge waits for...
Published 08/11/23
एक शहरी का गाँव - सर्वजीत
जब गाँव हाईवे से जुड़ जाएगा
कोई भूला-भटका, वापस आएगा
दौड़ता हुआ शहरी, ग़र थमेगा कभी
अपनी जड़ों को कैसे भुला पाएगा?
बड़े सपनों को आँखों में लिए
गाँव वाला शहर गया था कभी
छोटे बचपन की यादें संजोए
माँ का घर खाली हो गया तभी
इमारतों में बसा, पत्थर सा बन रहा
शहरी सालों बाद, अपने गाँव आता है
आम के बगीचे, दोस्तों की टोली, टपरी
एक दिन में शहरी, बरसों जी जाता है
चंद घरों की बस्ती, जंगल से जुड़ी
गाँव कहाँ शुरू, ख़त्म हो जाता है
अपनी है नहर, ज़मीन,...
Published 05/20/23
Of Heartstrings, Roots & Wings - Sarvajeet D Chandra
A father’s bond with a growing son
Is full of unspoken words
Fleeting moments of tenderness
An occasional flash of rebellion
Odd scuffle for the mother’s attention
It needs laughs, conversations
Bonhomie over sports and cars
Debates over Elon Musk and Mars
When the son was a small child
The father was a tree with bright eyes
In his shelter, life was full of joy
On his branches the child could dream & fly
As the young man...
Published 05/01/23
रूह की शबनम - सर्वजीत
मैं बहुत कुछ चाहता था तुझमें
उजालों के संग, तेरा अंधकार
मिठास के साथ, तेरा कड़वापन
रातों के बिखरे हुए तेरे बाल
तेरी ख़लिश, बेबस सी मुस्कान
तेरी सुबह की नींद भरी आवाज़
तेरी आशंकाएँ, टूटे हुए सपने
सोंधी मिट्टी सी तेरी ख़ुशबू
तेरे बदन पर खिलते गुलाब
तेरे कंधे पर खरोंच के निशान
तेरे आँगन के जलते-बुझते दीप
तेरी बाँहों का ज़ोर से चिमटना
काँटों से चुभते, बेचैन नाख़ून
पहाड़ी फूलों से भरे तेरे रास्ते
मंज़िल ढूँढते, तेरे भटके कदम
स्वाभिमान से भरी तेरी...
Published 03/11/23
परिंदों से भरा आसमान - सर्वजीत
हर किसी को अपनी खोज से
मुख़ातिब करा दे मालिक
कई नीरस जीवन सुधर जायेंगे
जो बेरंग, नाशाद, सुस्त से बैठे हैं
किसी तलाश में मसरूफ़ हो जाएँगे
जीवन में एक नया आशय पायेंगे
मूक, असहाय, अन्याय सहते हुओं को
अपनी आवाज़ से परिचित करा दे मालिक
जर्जर नाव में बैठे, तूफ़ानों से भिड़ जायेंगे
बार बार टूट कर, जुड़ने का साहस पायेंगे
दरिन्दों से स्वाभिमान, हक़ छीन लेंगे अपना
बहाने नहीं, संवृद्धि के रास्ते खोज लायेंगे
पंख हैं, पर मछली बन बेढब तैरते...
Published 02/09/23
River of Twilight Stars - Sarvajeet D Chandra
Silence is not the language of love
For love must speak with heart and soul
As cold sullen nights pass us by
Love should cuddle up and console
When the sky is cloudy, forests dark
Love keeps flying with a broken wing
Quells deep, murky fears in our soul
Fills our deserts with wildflowers, spring
For who am I, if I am not yours
Love should reassure a wavering heart
With vivid crayons, re-colour our world
Flow again, with river...
Published 01/24/23
पूरा नहीं, अधूरा सा - सर्वजीत
अपने होने का एहसास चला जाएगा
सितारा भटककर ज़मीं में बस जाएगा
ज़िंदगी जीकर चली जाएगी मुझको
तुम्हारी कशिश को कोई कैसे मिटाएगा
जिस शाम के हवाले, छोड़ गए तुम कभी
उन ढलते उजालों में जीवन बीत जाएगा
माँगी हुई ख़ुशियों से दामन भर लूँगा मैं
बुझे हुए दीपों से कोई रात को बहलायेगा
उम्र भर की बातें मुझे, जो करनी हैं तुमसे
उन हसरतों का शोर, ख़ामोश रह जाएगा
तुम्हारे लिए तैयार हूँ, ऐसा लगा ही नहीं
यह इश्क़ कविता में ही सिमट जाएगा
भटक ना जाऊँ, तेरी खोज...
Published 12/19/22
Half a Sunset - Sarvajeet D Chandra
A city of half a sunset
The other half of sunset, unseen
A city of half an acquaintance
The other half, a gaggle of unfamiliar beings
The elephant deity wages a fiery battle
Against monsters of half-truths, deceit
As the pandemic adds a mask
To the multitudes of faces we wear
The skyscrapers gaze quietly
Half-listening to my voiceless songs
The in-between-ness of a migrant life
The blank, blank emptiness of days
Sleek billboards...
Published 11/23/22
Un-Prince Charming - Sarvajeet D Chandra
Sharing coffee on a cold evening
Witty banter, well past midnight
Eyes only on me, in a crowded room
A emphatic ear, to a hard life tale
Voice notes, full of fun and frolic
Long, handwritten, mushy messages
A clumsy, relaxing shoulder massage
Laughing at oneself, silly, goofy jokes
Holding hands playfully like children
Disheveled hair, lazy sleepy grin
Full sleeved shirt, folded till elbows
These are things in him that turn me...
Published 10/27/22
मंज़िलों का सफ़र - सर्वजीत
मंज़िलों तुम चलती रहना
रास्तों की तरह
जब तुम रुक गयीं
मैं भी ठहर जाऊँगा
किसी मुक़ाम पर ग़र पहुँचा
तो शायद मैं थम जाऊँगा
सफ़र है तो सांसें हैं मेरी
सफ़र है तो हैं सपने
कभी कहीं दो पल के लिए
अपना मौसम भी छाएगा
एक पड़ाव होगा ऐसा भी
जहाँ मुसाफ़िर बसना चाहेगा
मंज़िलों तुम फिर भी चलती रहना
मेरे पाँवों को चलने की आदत है
हसरत जब तक है तुम्हारी
हर सुबह में एक अँगड़ाई है
हर शाम देखती है राह अपनी
हर रात गहरी नींद आयी है
मंज़िलों तुमसे है हस्ती...
Published 09/26/22
All My Heart - Sarvajeet D Chandra
If I really loved you with all my heart
Whiffed you in the wind at the quay
Felt your hair in the monsoon drizzle
I know you will show up, one day
If I really yearned for a life together
With streams, woods & birds at play
Frozen rivers, wintry air in our lungs
Your cosy log-hut will stop me one day
If I really felt the melody in my heart
Felt desires in a broken season, grey
Parts of me, scattered in your skies
That song will...
Published 09/19/22
तेरा आसमाँ -सर्वजीत
सुबह मुस्कुराने में
दर्द भरी शाम लगती है
तेरी भीनी ख़ुशबू में खिली
कलियों की सौग़ात लगती है
तुमको क्या है मालूम
यह दिन कैसे बीतते हैं
मेरी घोर निराशा में छुपी
सदियों की आस लगती है
अपने दिल की धड़कनों पर
पल-दो पल तो एतबार कर
तेरी रज़ा-मंद मींची आँखों में
मेरे गीतों की झंकार लगती है
तेरे रिमझिम से सावनों में
मेरी तचती प्यास लगती है
नीम-निगह खामोशी में तेरी
ख़ुश-नुमा निबाह लगती है
जाने कैसे गुजरेगा यह
तेरे ग़म, कमी का मौसम
तेरे इत्तेफाकन मिल...
Published 09/08/22
हर दिल तिरंगा - सर्वजीत
हर घर रोटी, हर घर रोज़गार
हर घर सादगी, हर घर संस्कार
हर घर तिरंगा
हर घर प्रगति, हर घर सम्मान
हर घर निडरता, हर घर ईमान
हर घर तिरंगा
हर घर खेल-कूद, हर घर आरोग्यता
हर घर पोषण, हर घर जागरूकता
हर घर तिरंगा
हर घर गाँधी, हर घर कलाम
हर घर विद्या, हर घर इलहाम
हर घर तिरंगा
हर घर पक्की छत, हर घर नारी सम्मान
हर घर प्रदूषण रहित, हर घर स्वाभिमान
हर घर तिरंगा
हर घर खुलापन, हर घर भाईचारा
हर घर एकता, हर घर जयकारा
हर घर तिरंगा
बेघर के भी, दिल में घर...
Published 08/14/22
भूला बिसरा याराना - सर्वजीत
महीने बीत जातें हैं जिनके इंतजार में
वह दोस्त आते नहीं अब गली, बाज़ार में
कब तक सीने से लगा रखूँ दोस्ती को
आँखों से कैसे कमी निकालूँ मैं बावरे
गम नही संध्या में महफिल नही सजती
चिराग़ जलते बुझते, सुख़न-वरों के आसरे
रंज नही यारों को याद नहीं आती
आस-पास रहकर भी, दिलों में फ़ासले
दोस्ती इक्के-दुक्के से प्रगाढ़ होती थी
सैकड़ों अजनबी, ऑनलाइन मैत्री के वास्ते
क्यूँ कोई किसी का एतबार नही करता
अनजान शहर में खोजूँ, चिर परिचित रास्ते
Connect...
Published 08/03/22
When It Ends- Sarvajeet D Chandra
There will be
No fights over dozens of calls
No social posts alluding to disputes
No doors bolted, no food left cold
No sullen nights, no coldish days
No rushing out of the car in a huff
No solitary walk in rain, wet and wintry
No frumpy skeletons, out of the closet
No un-following, un-liking, un-loving
No scars to hide, no broken promises
No flurry of texts written and deleted
Nothing will be obligatory
Except
A look that is devoid of...
Published 07/16/22
कभी भर गया, कभी ख़ाली रहा - सर्वजीत
कभी ख़फ़ा, कभी ख़ुशगवार हूँ
कभी ठीक हूँ, कभी ख़राब हूँ
कभी मसरूफ़, कभी हूँ मुंतज़िर
तेरा ढलता उभरता ख़ुमार है
कभी थम गया, कभी चढ़ गया
कभी याद किया, कभी भुला दिया
कभी बुझा हूँ, कभी जला हुआ
कभी सहर हूँ, कभी साँझ सा
तेरा वजूद, जैसे कोई सराब है
कभी मिल गया, कभी बिछड़ गया
कभी आफ़ताब हूँ, अन्धकार हूँ
कभी वीरान हूँ, कभी आबाद सा
कभी पाया तुम्हें, कभी खो दिया
तेरा दीदार एक भिक्षा पात्र है
कभी भर गया, कभी ख़ाली रहा
कभी ज़र्रा हूँ, कभी...
Published 06/19/22
Happiness Unfettered -Sarvajeet D Chandra
The endless pursuit of happiness
A fabled island of incredible tales
Rumours of trips full of excitement
Of rueful travellers that never arrive
Chasing happiness in a lucent future
Ignoring daily activities filled with joy
As little birds chirp on a flowering tree
Share a cup of tea, if the kettle is free
How little we need to be merry
Childlike silliness and days light up
The glee of finding your whacky tribe
Of senseless chatter...
Published 05/19/22
पीपल की छाँव - सर्वजीत
बहुमंज़िलों में रह, बादलों सा हो गया
ना आसमाँ का हुआ, ना ज़मीं का रहा
अपने वजूद को भीड़ में खोता ही गया
सादगी बेच, ग़रूर किश्तों में लेता गया
इतना वीरान है, महानगर का मकाँ
कि पुरानी यादें भी यहाँ नहीं आती
कभी आया था, चंद लम्हों के लिए
उम्र बची जो है, गुज़ारी नहीं जाती
सुख रखने की जगह कम है शहर में
ख़ुदगर्ज़ी जमा करने के बैंक काफ़ी हैं
अपनों से दूर, थी चंद रुपयों की होड़
सूनापन, मूक झाँकता पड़ोसी साथी है
सच है अपने कस्बे ना गए फिर कभी
लेकिन...
Published 05/03/22