Likhne Se Hi Likhi Jaati Hai Kavita | Udayan Vajpeyi
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Description
लिखने से ही लिखी जाती है कविता | उदयन वाजपेयी लिखने से ही लिखी जाती है कविता  प्रेम भी करने की ही चीज़ है  जैसे जंगल सुनने की  किताब डूबने की  मृत्यु इंतज़ार की  जीवन, अपने को चारों ओर से  समेट कर किसी ऐसे बिंदु पर  ला देने की जहाँ नर्तकी की तरह  अपने पाँव के अँगूठे पर कुछ देर  खड़ा रह सके वियोग 
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तुम औरत हो | पारुल चंद्रा क्योंकि किसी ने कहा है, कि बहुत बोलती हो, तो चुप हो जाना तुम उन सबके लिए... ख़ामोशियों से खेलना और अंधेरों में खो जाना,  समेट लेना अपनी ख़्वाहिशें, और कैद हो जाना अपने ही जिस्म में… क्योंकि तुम तो तुम हो ही नहीं… क्योंकि तुम्हारा तो कोई वजूद नहीं... क्योंकि किसी के आने की...
Published 10/06/24
Published 10/06/24
ईश्वर तुम्हारी मदद चाहता है | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी  बदल सकता है धरती का रंग बदल सकता है चट्टानों का रूप बदल सकती है नदियों की दिशा बदल सकती है मौसम की गति ईश्वर तुम्हारी मदद चाहता है। अकेले नहीं उठा सकता वह इतना सारा बोझ।
Published 10/05/24