Furniture | Anamika
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Description
फ़र्नीचर | अनामिका मैं उनको रोज़ झाड़ती हूँ पर वे ही हैं इस पूरे घर में जो मुझको कभी नहीं झाड़ते! रात को जब सब सो जाते हैं— अपने इन बरफाते पाँवों पर आयोडिन मलती हुई सोचती हूँ मैं— किसी जनम में मेरे प्रेमी रहे होंगे फ़र्नीचर, कठुआ गए होंगे किसी शाप से ये! मैं झाड़ने के बहाने जो छूती हूँ इनको, आँसुओं से या पसीने से लथपथ- इनकी गोदी में छुपाती हूँ सर- एक दिन फिर से जी उठेंगे ये! थोड़े-थोड़े-से तो जी भी उठे हैं। गई रात चूँ-चूँ-चू करते हैं : ये शायद इनका चिड़िया का जनम है, कभी आदमी भी हो जाएँगे! जब आदमी ये हो जाएँगे, मेरा रिश्ता इनसे हो जाएगा क्या वो ही वाला जो धूल से झाड़न का?
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हम हैं ताना, हम हैं बाना |  उदय प्रकाश  हम हैं ताना, हम हैं बाना। हमीं चदरिया, हमीं जुलाहा, हमीं गजी, हम थाना॥ हम हैं ताना''॥ नाद हमीं, अनुनाद हमीं, निःशब्द हमीं गंभीरा, अंधकार हम, चाँद-सूरज हम, हम कान्हा, हम मीरा। हमीं अकेले, हमीं दु्केले, हम चुग्गा, हम दाना॥ हम हैं ताना'''॥ मंदिर-महजिद, हम....
Published 09/28/24
चरित्र | तस्लीमा नसरीन  तुम लड़की हो,  यह अच्छी तरह याद रखना  तुम जब घर की चौखट लाँघोगी  लोग तुम्हें टेढ़ी नज़रों से देखेंगे  तुम जब गली से होकर चलती रहोगी  लोग तुम्हारा पीछा करेंगे, सीटी बजाएँगे  तुम जब गली पार कर मुख्य सड़क पर पहुँचोगी  लोग तुम्हें बदचलन कहकर गालियाँ देंगे  तुम हो जाओगी...
Published 09/27/24
Published 09/27/24