Description
हम हैं ताना, हम हैं बाना | उदय प्रकाश
हम हैं ताना, हम हैं बाना।
हमीं चदरिया, हमीं जुलाहा, हमीं गजी, हम थाना॥ हम हैं ताना''॥
नाद हमीं, अनुनाद हमीं, निःशब्द हमीं गंभीरा,
अंधकार हम, चाँद-सूरज हम, हम कान्हा, हम मीरा।
हमीं अकेले, हमीं दु्केले, हम चुग्गा, हम दाना॥ हम हैं ताना'''॥
मंदिर-महजिद, हम. गुरुद्वारा, हम मठ, हम बैरागी
हमीं पुजारी, हमीं देवता, हम कीर्तन, हम रागी।
आखत-रोली, अलख-भभूती, रूप धरें हम नाना॥ हम हैं ताना''॥
मूल-फूल हम, रुत बादल हम, हम माटी, हम पानी
हमीं जहूदी-शेख-बरहमन, हरिजन हम खिस्तानी।
पीर-अघोरी, सिद्ध-औलिया, हमीं पेट, हम खाना॥ हम हैं ताना॥
नाम-पता, ना ठौर-ठिकाना, जात-धरम ना कोई
मुलक-खलक, राजा-परजा हम, हम बेलन, हम लोई।
हमही दुलहा, हमीं बराती, हम फूँका, हम छाना॥ हम हैं ताना''॥
चरित्र | तस्लीमा नसरीन
तुम लड़की हो,
यह अच्छी तरह याद रखना
तुम जब घर की चौखट लाँघोगी
लोग तुम्हें टेढ़ी नज़रों से देखेंगे
तुम जब गली से होकर चलती रहोगी
लोग तुम्हारा पीछा करेंगे, सीटी बजाएँगे
तुम जब गली पार कर मुख्य सड़क पर पहुँचोगी
लोग तुम्हें बदचलन कहकर गालियाँ देंगे
तुम हो जाओगी...
Published 09/27/24
पढ़ना मेरे पैर | ज्योति पांडेय
मैं गई
जबकि मुझे नहीं जाना था।
बार-बार, कई बार गई।
कई एक मुहानों तक
न चाहते हुए भी…
मेरे पैर मुझसे असहमत हैं,
नाराज़ भी।
कल्पनाओं की इतनी यात्राएँ की हैं
कि अगर कभी तुम देखो
तो पाओगे कि कितने थके हैं ये पाँव!
जंगल की मिट्टी, पहाड़ों की घास और समंदर की रेत...
Published 09/26/24