देख चांद की ओर मुसाफ़िर...
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देख चांद की ओर मुसाफ़िर... आह आलेख : सुजॉय चटर्जी वाचन : रचिता देशपांडे प्रस्तुति : संज्ञा टंडन ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है 1948 की फ़िल्म ’आग’ का गीत "देख चांद की ओर मुसाफ़िर"। शैलेश मुखर्जी और मीना कपूर की आवाज़ें, सरस्वती कुमार ’दीपक’ के बोल, और राम गांगुली का संगीत। राज कपूर ने अपनी इस पहली निर्मित फ़िल्म के लिए गीतकार और संगीतकार के चुनाव कैसे किए? कैसे मौका मिला राम गांगुली और सरस्वती कुमार ’दीपक’ को इस फ़िल्म से जुड़ने का? क्या ख़ास बात है उस अभिनेता की जिन पर यह गीत फ़िल्माया गया है? कमचर्चित गायक शैलेश मुखर्जी को इस गीत को गाने का मौका कैसे मिला? यह फ़िल्म संगीतकार राम गांगुली की राज कपूर कैम्प की अन्तिम फ़िल्म क्यों साबित हुई? ये सब आज के इस अंक में।
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परिकल्पना : सजीव सारथी आलेख : सुजॉय चटर्जी स्वर : रचिता देशपांडे प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को...
Published 05/29/24
Published 05/29/24
परिकल्पना : सजीव सारथी आलेख : सुजॉय चटर्जी स्वर : शिवम मिश्रा प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को...
Published 05/21/24