घूंघट के पट खोल रे...
Description
आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1950 की फ़िल्म ’जोगन’ का मीरा भजन - "घूंघट के पट खोल रे, तोहे पिया मिलेंगे"। गीता दत्त की आवाज़, और बुलो सी. रानी का संगीत। बुलो सी. रानी को कैसे विश्वास हुआ कि गीता दत्त इस फ़िल्म के भजनों के साथ पूरा-पूरा न्याय कर पायेंगी? दोनों के बीच बारह का क्या आंकड़ा रहा? इस भजन के अर्थ, भावार्थ और फ़िल्म के परिप्रेक्ष में इसके प्रयोग के बीच कैसा ताना-बाना बुना हुआ है? नरगिस पर फ़िल्माये गीता दत्त के तमाम गीतों में एक और कड़ी कौन सी जुड़ी हुई है? इस फ़िल्म के तमाम गीतों में गीता दत्त की व्यक्तिगत पसन्द कौन सी रही? ये सब, आज के इस अंक में।
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : मातृका
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं
को समेटता...
Published 06/04/24
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : रचिता देशपांडे
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं
को...
Published 05/29/24