मेरा मन है मगन, लागी तुमसे लगन...
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आलेख : सुजॉय चटर्जी वाचन : सुमेधा अग्रश्री प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला।दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1954 की फ़िल्म ’दुर्गा पूजा’ का गीत- "मेरा मन है मगन, लागी तुमसे लगन"। आशा भोसले और मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ें, भरत व्यास के बोल, और एस. एन. त्रिपाठी का संगीत। धीरूभाई देसाई ने इस फ़िल्म के पूरे हो जाने के बावजूद इसे रिलीज़ करने के लिए सितम्बर माह तक का इन्तज़ार क्यों किया? ’दुर्गा पूजा’ शीर्षक से बनने वाली इस फ़िल्म की कहानी में वह कौन सा प्रेम प्रसंग था जिस पर आधारित हुआ यह प्रेम गीत? गीतकार भरत व्यास द्वारा पौराणिक फ़िल्मों के लिए लिखे उच्चस्तरीय गीतों के बावजूद इस गीत के बोल ज़रा हल्के क्यों महसूस होते हैं? गीत के मुखड़े की कैच-लाइन "प्रीत की रीत निभाना जी" का फ़िल्मी गीतों के इतिहास में सबसे पहला प्रयोग किस गीत में हुआ था? ये सब, आज के इस अंक में।
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परिकल्पना : सजीव सारथी आलेख : सुजॉय चटर्जी स्वर : रचिता देशपांडे प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को...
Published 05/29/24
Published 05/29/24
परिकल्पना : सजीव सारथी आलेख : सुजॉय चटर्जी स्वर : शिवम मिश्रा प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को...
Published 05/21/24