सौतन घर ना जा, अरे मोरे सैयां...
Listen now
Description
आलेख : सुजॉय चटर्जी वाचन : मातृका प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1911 में ग्रामोफ़ोन कंपनी लिमिटेड के रेकॉर्ड पर जारी ज़ोहरा बाई आगरेवाली का गाया राग ज़िला आधारित दादरा, जिसके बोल हैं "सौतन घर ना जा, अरे मोरे सैयां"। क्या ख़ास बात है इस एक सौ बारह साल पुराने दादरे की? कौन थीं ज़ोहरा बाई आगरे वाली? जिस सत्र में यह दादरा रेकॉर्ड हुआ था, उसमें कौन सी बड़ी ग़लती हुई? इस दादरे का प्रयोग 1963 की किस फ़िल्मी गीत में किया गया है? जानिये ज़ोहरा बाई आगरेवाली और उनकी गायी इस रचना से जुड़ी कई दिलचस्प बातें, आज के इस अंक में।
More Episodes
परिकल्पना : सजीव सारथी आलेख : सुजॉय चटर्जी स्वर : श्री शर्मा प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को...
Published 05/14/24
Published 05/14/24
परिकल्पना : सजीव सारथी आलेख : सुजॉय चटर्जी स्वर : अनुज श्रीवास्तव प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार...
Published 05/07/24