पिया मिलन को जाना...
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आलेख : सुजॉय चटर्जी वाचन : शुभम बारी प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1939 की फ़िल्म ’कपालकुण्डला’ का गीत "पिया मिलन को जाना"। आरज़ू लखनवी के बोल, तथा स्वर और संगीत पंकज मल्लिक का। प्रसिद्ध उपन्यास ’कपालकुण्डला’ के किस चरित्र पर यह गीत फ़िल्माया गया है और कहानी के किस मोड़ व संदर्भ में। आरज़ू लखनवी ने शब्दों का कैसा ताना-बाना बुना है इस गीत के भाव को व्यक्त करने के लिए? किस अन्य फ़िल्म में पंकज मल्लिक और इला घोष की आवाज़ों में यह गीत सुनाई देता है? दक्षिण भारत के किन चार फ़िल्मों में इसी गीत की धुन पर गीत बने हैं? ये सब, आज के इस अंक में।
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Published 06/04/24
परिकल्पना : सजीव सारथी आलेख : सुजॉय चटर्जी स्वर : मातृका प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता...
Published 06/04/24
परिकल्पना : सजीव सारथी आलेख : सुजॉय चटर्जी स्वर : रचिता देशपांडे प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को...
Published 05/29/24