करोना लॉकडाउन के दिनों में लिखी गई अशोक वाजपेयी की यह कविता, पृथ्वी और उसके बाशिंदों के लिए एक प्रार्थना तो है ही, पर साथ ही प्रकृति पर मनुष्य की गहरी निर्भरता का एक अनुस्मारक भी है।
Ashok Vajpeyi's poem, written during the Covid lockdown, is not only a prayer for the Earth and all its...
Published 03/09/22
राजेश जोशी की कविता 'धरती के इस हिस्से में', एक समुद्र तट का चित्रण करती है - जहाँ चिड़ियों, लहरों, मछलियों और पेड़ों की कई आवाजों के बीच भी एक गहरा एकांत है। साथ ही यह कविता हमसे यह भी पूछती नज़र आती है, कि आखिर यह एकांत अब हमारे लिए इतना दुर्लभ क्यों हो गया है?
Rajesh Joshi's poem 'Dharti Ke...
Published 02/23/22