चार दिन की ज़िन्दगी में मुस्कुराना सीख ले, ग़म के सागर से निकल और तैरना सीख ले ।
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चार दिन की ज़िन्दगी में मुस्कुराना सीख ले, ग़म के सागर से निकल और तैरना सीख ले । ज़िन्दगी के खेल के परिणाम चाहे जो सही, तू हार कर भी जीत की खुशियां मनाना सीख ले । खुश तू रहे, खुश सब रहे, वादी सदा हंसती रहे मुस्कुराने का कोई अब तो बहाना सीख ले । मुश्किलें आती हैं, आती है तो जाती भी हैं। इन आती जाती मुश्किलों को आज़माना सीख ले । कश्मकश की भंवर में गोते लगाने से भला संघर्ष के समुन्दर में तू डूब जाना सीख ले । जीवन के फल को चख ज़रा, मीठा ही है, मीठे ही थे । ग़म कड़वे होकर मीठे हैं, यह स्वाद पाना सीख ले। तू मुस्कुराना सीख ले, हंसना हँसाना सीख ले ।
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Published 06/25/20
This is the 1st poem I wrote...nd i dedicated it to my late Granny Mrs.Asha Sharma
Published 06/03/20
Published 06/03/20