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"वर्णाश्रम-धर्म तथा नारी-धर्म का वर्णन; शिव के भजन, चिन्तन एवं ज्ञान की महत्ता का प्रतिपादन"
Published 08/23/23
"भगवान् शिवके प्रति श्रद्धा-भक्ति की आवश्यकता का प्रतिपादन, शिवधर्म के चार पादों का वर्णन एवं ज्ञानयोग के साधनों तथा शिवधर्म के अधिकारियों का निरूपण, शिवपूजन के अनेक प्रकार एवं अनन्यचित्त से भजन की महिमा"
Published 08/23/23
"शिव के अवतार, योगाचार्यों तथा उनके शिष्यों की नामावली"
Published 08/23/23
"शिव-ज्ञान, शिव की उपासना से देवताओं को उनका दर्शन, सूर्यदेव में शिव की पूजा करके अर्घ्यदान की विधि तथा व्यासावतारों का वर्णन"
Published 08/23/23
"परमेश्वर की शक्ति का ऋषियों द्वारा साक्षात्कार, शिव के प्रसाद से प्राणियों की मुक्ति, शिव की सेवा भक्ति तथा पाँच प्रकार के शिव-धर्म का वर्णन"
Published 08/23/23
"शिव के शुद्ध, बुद्ध, मुक्त, सर्वमय, सर्वव्यापक एवं सर्वातीत स्वरूप का तथा उनकी प्रणवरूपता का प्रतिपादन"
Published 08/23/23
"परमेश्वर शिव के यथार्थ स्वरूप का विवेचन तथा उनकी शरण में जाने से जीव के कल्याण का कथन"
Published 08/23/23
"शिव और शिवा की विभूतियों का वर्णन"
Published 08/23/23
"भगवान् शिव की ब्रह्मा आदि पंचमूर्तियों, ईशानादि ब्रह्ममूर्तियों तथा पृथ्वी एवं शर्व आदि अष्टमूर्तियों का परिचय और उनकी सर्वव्यापकता का वर्णन"
Published 08/23/23
"उपमन्यु द्वारा श्रीकृष्ण को पाशुपत ज्ञान का उपदेश"
Published 08/23/23
"ऋषियों के पूछने पर वायुदेव का श्रीकृष्ण और उपमन्यु के मिलन का प्रसंग सुनाना, श्रीकृष्ण को उपमन्यु से ज्ञान का और भगवान् शंकर से पुत्र का लाभ"
Published 08/23/23
"भगवान् शंकर का इन्द्ररूप धारण कर के उपमन्यु के भक्तिभाव की परीक्षा लेना, उन्हें क्षीरसागर आदि देकर बहुत से वर देना और अपना पुत्र मान कर पार्वती के हाथ में सौंपना, कृतार्थ हुए उपमन्यु का अपनी माता के स्थान पर लौटना"
Published 08/21/23
"बालक उपमन्यु को दूध के लिये दु:खी देख माता का उसे शिव की तथा उपमन्यु की तीव्र तपस्या"
Published 08/21/23
"पाशुपत-व्रत की विधि और महिमा तथा भस्मधारण की महत्ता"
Published 08/21/23
"परम धर्म का प्रतिपादन, शैवागम के अनुसार पाशुपत ज्ञान तथा उसके साधनों का वर्णन"
Published 08/21/23
"ऋषियों के प्रश्न का उत्तर देते हुए वायुदेव के द्वारा शिव के स्वतन्त्र एवं सर्वानुग्राहक स्वरूप का प्रतिपादन"
Published 08/21/23
"जगत् ‘वाणी और अर्थ रूप’ है - इसका प्रतिपादन"
Published 08/21/23
अग्नि और सोम के स्वरूपका विवेचन तथा जगत की अग्नीषोमात्मकता का प्रतिपादन
Published 08/21/23
"मन्दराचल पर गौरी देवी का स्वागत, महादेवजी के द्वारा उनके और अपने उत्कृष्ट स्वरूप एवं अविच्छेद्य सम्बन्ध पर प्रकाश तथा देवी के साथ आये हुए व्याघ्र को उनका गणाध्यक्ष बना कर अन्तःपुर के द्वार पर सोमनन्दी नाम से प्रतिष्ठित करना"
Published 08/21/23
"गौरी देवी का व्याघ्र को अपने साथ ले जाने के लिये ब्रह्माजी से आज्ञा माँगना, ब्रह्माजी का उसे दुष्कर्मी बता कर रोकना, देवी का शरणागत को त्यागने से इनकार करना, ब्रह्माजी का देवी की महत्ता बता कर अनुमति देना, और देवी का माता- पिता से मिल कर मन्दराचल को जाना"
Published 08/21/23
"पार्वती की तपस्या, एक व्याघ्र पर उनकी कृपा, ब्रह्माजी का उनके पास आना, देवी के साथ उनका वार्तालाप, देवी के द्वारा काली त्वचा का त्याग और उससे कृष्णवर्णा कुमारी कन्या के रूप में उत्पन्न हुई कौशिकी के द्वारा शुम्भ-निशुम्भ का वध"
Published 08/21/23
"भगवान् शिव का पार्वती तथा पार्षदों के साथ मन्दराचल पर जाकर रहना, शुम्भ निशुम्भ के वध के लिये ब्रह्माजी की प्रार्थना से शिव का पार्वती को 'काली’ कहकर कुपित करना और काली का ‘गौरी’ होने के लिये तपस्या के निमित्त जाने की आज्ञा माँगना"
Published 08/21/23
"महादेव जी के शरीर से देवी का प्राकट्य और देवी के भ्रूमध्य-भाग से शक्ति का प्रादुर्भाव"
Published 08/21/23
"ब्रह्माजी के द्वारा अर्द्धनारीश्वर रूप की स्तुति तथा उस स्त्रोत की महिमा"
Published 08/21/23
"भगवान् रुद्र के ब्रह्माजी के मुख से प्रकट होने का रहस्य, रुद्र के महामहिम स्वरूप का वर्णन, उनके द्वारा रुद्रगणों की सृष्टि तथा ब्रह्माजी के रोकने से उनका सृष्टि से विरत होना"
Published 08/21/23