बहुत बहुत आभार रजनी जी इतना अदभुत सत्संग देने के लिए बहुत ही दिव्य सत्संग था आज का भगवद गीता अध्याय सोलह का सार बताया अपने इस अध्याय में देवी और आसुरी गुणों के बारे बताया गया फ्रेंड्स जीव का उद्देश्य होता वो अपने अंदर देवी गुणों का संचार करे लेकिन माया वश ज्यादा तर जीव आसुरी गुणों में लुप्त रहता लेकिन भगवद गीता भगवान के शब्द उनकी वाणी से हमे पता चला कि हम दिव्य परमात्मा के बच्चे है और हमे अपने अंदर देवी गुण लाने है,रजनी जी ने बड़ा सुंदर बताया भक्तो का संग,सत्संग,साधना,सेवा से देवी गुण बढ़ते और आसुरी गुण घट जाते तो फ्रेंड्स चॉइस मिल गई वैसे देखा जाए तो देवी गुण बहुत ज्यादा होते और आसुरी बहुत कम हम विचारो के माध्यम से इन गुणों को feed देते जितनी फीड जिस गुण को मिलती वही गुण ज्यादा मजबूत हो जाते हमने एबीसीडी मॉडल से भी समझा था हमारे मानसिक कुरुक्षेत्र में पाण्डव और कुरव विचार के माध्यम से है जितनी इनको फीड देंगे उतना ये मजबूत बनेगे लेकिन गोलोक एक्सप्रेस में अक्सर बताते बुद्धि में जब आए कृष्णा तो वस में आ जाए कृष्णा भज हरे कृष्ण जप हरे कृष्ण इससे बुद्धि में कृष्ण का वास होगा और देवी गुणों ka विकास होगा
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