हरि हरि बोल जी🙏🙏इस में पंकज जी ने श्रीमद् भगवद गीता के अध्याय 18 गीता सारांश का सार बहुत गहराई से समझाया है_🍄पहिले हमने तीन तरह की बुद्धि के बारे में जाना_सात्विक, राजसिक और तामसिक,तो हमें खाली समय में हरिनाम करके अपनी बुद्धि को सात्विक बनाना है🍄सुख भी तीन तरह का होता है_सात्विक सुख सबसे अच्छा है,जो पहिले तो हमें विष जैसा लगता है पर बाद में अमृत जैसा लगता है, राजसिक सुख पहिले अमृत और बाद में विष जैसा लगता है,इससे भी बचना है,तामसिक सुख शुरू से लेके अन्त तक मोह ग्रस्त रहना,जो सबसे बुरा है🍄आगे भगवान कहते हैं कि हमें अपने कर्म से मुख नही मोड़ना,चाहे गलती भी हो रही है,बार बार करते जाना है, छोड़ना नही🍄अपनी ड्यूटी करते जाना है और फल भगवान पर छोड़ देना है,चिंता की जगह चिंतन करना है🍄अपने अहंकार को त्यागकर प्रभु पर भरोसा रखते हुए काम करते जाना है और अंदर से प्रभु से जुड़े रहना है,सब अच्छा ही होगा,और जो बाधा आएगी प्रभु कृपा से हम निकल जायेंगे👍जपते रहें_हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे 🙏🙏
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