नौ सो की लिप्स्टिक | स्टोरीबॉक्स | EP 71
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“जाओ... कल से चली जाऊंगी रिक्शा करके, कोई ज़रूरत नहीं मुझे ऑफ़िस ड्रॉप करने की” अंजली गुस्से से बोली, “वैसे भी तुम्हारा टुटपुंजिया स्कूटर देखकर हंसते हैं मेरे ऑफिस वाले” मैंने कहा, “हां-हां तो तुम तो शाही घोड़ागाड़ी वाले खानदान की हो न... लोकेश ने तंज़ कसा तो अंजली ज़हरबुझी आवाज़ में बोली, “ख़ानदान की धौंस न दो, सब पता है तुमाए दादा सपरौता गांव में किसकी भैंसे नहलाते थे” मेरी बीवी बुशरा ने अंजली को खींचकर कुर्सी पर बैठाया लेकिन लोकेश मेरा हाथ छुड़ाकर नथने फुलाता हुआ चिल्लाया, “हां, नहलाते थे तो? तुम्हारे पापा की तरह चिटफंड घपले में अंदर तो नहीं गए" “ऐ ज़बान संबाल कर” वो चिल्लाई “तुम अपनी ज़बान देखो” लोकेश चीखा, “कैंची की तरह चलती है अम्मा जैसी ही” वो बोली “अरे तुम अपनी अम्मा देखो” अंजली हथेली चलाते हुए बोली “महीना-महीना पड़ी रहती हैं जैसे सड़क पर सीवर वाले पाइप पड़े रहते हैं.. एक काम नहीं करना... अरे अंजली, ज़रा पानी गर्म कर। अरे अंजली पानी ठंडा दे दो पीने के लिए। गांव में घड़े का पानी पीने वाली औरत, यहां फऱर्माइशें नहीं ख़तम होती... ” तभी लोकेश से एक गलती हो गयी... उसने कहा, देखो ऐसा है मुंह न खुलवाओ, कूड़ेदान में महंगी-महंगी लिप्स्टिक के बिल हमने बहुत देखा है - सुनिए स्टोरीबॉक्स में कहानी 'नौ सौ की लिप्सटिक' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.
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जलील भाई के दादा को किसी ज़माने में वायसरॉय साहब ने अपने बंग्ले से उतार कर पंखा दिया था और वही पंखा जलील भाई की डेंटल क्लीनिक पर आजतक लटका हुआ है. पर इस पंखे ने कैसे बिगाड़ दी जलील भाई की प्रेम कहानी - सुनिए जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से स्टोरीबॉक्स में
Published 06/09/24
कानपुर रेलवे स्टेशन पर रिज़र्वेशन की लाइन में खड़े एक शख्स ने जब खिड़की से पैसा अंदर बाबू की तरफ बढ़ाया तो उसने कहा कि ये नोट नकली है लेकिन नकली नोट की वजह से वो कैसे मिल गए अपनी उस मुहब्बत से जिसकी तलाश में सालों से यहां वहां मजनूँ बने घूम रहे थे - सुनिए स्टोरीबॉक्स में क़िस्सा नकली नोट का -...
Published 06/02/24