अमावस की वो रात | स्टोरीबॉक्स | EP 89
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उस काली अंधेरी सुनसान रात में सामने वाले अपार्टमेंट की खिड़की में मैंने जो देखा था उसे मैं कभी नहीं भूल सकता. भूत प्रेत या साय पर मेरा यकीन हो या ना हो लेकिन उस रात के बाद ज़िंदगी और उसकी अहमियत पर मेरा यकीन ज़रूर बढ़ गया था - सुनिए स्टोरीबॉक्स में कहानी 'अमावस की वो रात' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
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कानपुर रेलवे स्टेशन पर रिज़र्वेशन की लाइन में खड़े एक शख्स ने जब खिड़की से पैसा अंदर बाबू की तरफ बढ़ाया तो उसने कहा कि ये नोट नकली है लेकिन नकली नोट की वजह से वो कैसे मिल गए अपनी उस मुहब्बत से जिसकी तलाश में सालों से यहां वहां मजनूँ बने घूम रहे थे - सुनिए स्टोरीबॉक्स में क़िस्सा नकली नोट का -...
Published 06/02/24
इतनी रात के वक्त यहां क्या कर रहे हो? पुलिस अफ़सर ने उससे पूछा तो उसने कहा, "मैं अपने पुराने दोस्त का इंतज़ार कर रहा हूं। बीस साल पहले हमनें यहीं मिलने का वादा किया था" कुछ देर बाद एक शख्स आया और उसने बढ़ाते हुए कहा, "तुम बॉब हो?" बॉब ने झिझकते हुए हाथ तो बढ़ा दिया पर उसे शक था कि ये उसका दोस्त...
Published 05/26/24