Description
आप जानते है आपने बचपन में कैसे चलना सीखा था. आप गिरते थे तो भी आप कौशिश नहीं छोड़ते थे. क्यूँ ?
क्यूँ failure का डर नहीं था. फ्रीडम थी. वर्क करने की. टारगेट क्लियर था कि दूसरों की तरह चलना सीखना है. पता ही नहीं कि कितनी बार गिरे होंगे. परन्तु उस समय सवाल गिरने का तो था ही नहीं दिमाग में सवाल एक था कि चलना है और बस चलना है.
यह बड़े ही कमाल का नियम हम जो हम सब पर एक जैसे लागू होता है. परन्तु हम भूल जाते है. कोई भी नया कार्य शुरू करते है तो failure के बहुत सारे डर हमारे सामने आकर खड़े हो आते है.
बड़े होने के बाद क्या आपने कभी बचपन वाली फ्रीडम के साथ कोई काम किया है. तब गिरने में भी मज़ा आता था. तब गिरने से डर नहीं लगता था क्यूंकि failure की तो बात थी ही नहीं.
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