अब तक 19.. आप सभी ने दिया है ज़िन्दगी डायरीज़ के 19 पन्नों तक मेरा साथ। मैनें आपके साथ बांटी 19 कवितायें.... क्योंकि खुशी और ग़म में अक्सर 19-20 का ही फर्क रह जाता, सब कुछ होने के बाद भी खुशी नहीं मिलती, और कभी कभी थोड़ी सी खुशी में जीवन जिया जा सकता है।
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Published 12/31/20
जाते जाते एक अचानक से हुई मुलाक़ात, जिसे भूलना नामुमकिन हो गया... ऐसा क्या हुआ होगा इस मुलाक़ात में, सुनिये मेरे साथ… और मिलिए हमारी प्यारी सी छत वाली बिल्ली से।
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Published 12/31/20
प्यार की सुगंध से कैसे दूर रह सकती है ज़िन्दगी डायरीज़। इस स्वाद को अपने पन्नों पर न उतारा जाए, ऐसा मुमकिन नहीं। इस को चखना सभी के लिए ज़रूरी है, जीवनरूपी पकवान में नमक भले ही थोड़ा कम रह जाये, लेकिन प्रेम रस, भारी मात्रा में ही मिलाना चाहिए।
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Published 12/30/20