माँ विशालाक्षी शक्तिपीठ | मणिकर्णिका - काशी, उत्तर प्रदेश
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Description
मोक्षदायनी धरा वाराणसी की अलौकिकता को अनुभव करना एक अद्भुत एहसास है. यहाँ पर माता सती की कर्ण मणि गिरी थी जिससे मणिकर्णिका शक्तिपीठ यानि विशालाक्षी शक्तिपीठ की स्थापना हुई. उसी के साथ मणिकर्णिका घाट की उतपत्ति भी हुई. इसी घाट पर भगवान शिव ने माता सती के शव का अंतिम संस्कार किया था जिससे ये मोक्षदायनी धरा के साथ महाशमशान के नाम से विख्यात हुई. महादेव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से काशीविश्वनाथ महादेव, कोतवाल काल भैरव के साथ काशी में विराजते है. माना जाता है कि हर रात्रि भोलेनाथ विश्राम करने माँ विशालाक्षी शक्तिपीठ जाते है. इस एपिसोड में विस्तार से सुनिए कहानी.
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Published 02/16/24
51 शक्तिपीठों की ये यात्रा आप सबके साथ बहुत ही सुंदर रही, इस पॉडकास्ट के अंतिम एपिसोड में हम चल रहे हैं माता के अंतिम धाम क्योंकि इस स्थान का न कोई आदि है न अंत है. वो अनंता यहां अनंत तक के अपने पूर्ण वास में है. उत्तर प्रदेश की राजधानी से 286 km और लगभग 6 घंटे की दूरी पर और प्रयागराज से 83 km...
Published 02/16/24
माता सती का यशोरेश्वरी शक्तिपीठ का अर्थ है जैसोर की देवी, पहले ये पूरा स्थान जैसोर के नाम से ही जाना जाता था, किंतु अब एक जिले तक सिमट कर रह गया है. यहां के स्थानीय हिंदू लोगों की ये कुल देवी है. यहां की शक्ति है मां यशोरेश्वरि और भैरव को चंद्र के नाम से पूजा जाता है. मान्यता है की इस स्थान पर...
Published 02/15/24