Description
मान्यता के अनुसार कुरुक्षेत्र के शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर यानि सावित्री शक्तिपीठ में मां सती का दाहिना टखना का निपात हुआ था। किंवदंती है कि महाभारत युद्ध शुरू करने से पहले, भगवान कृष्ण के साथ पांडवों ने जीत हासिल करने की उत्कट आशा के साथ इस पवित्र स्थल पर आशीर्वाद मांगा और प्रार्थना की। अपनी भक्ति के एक संकेत के रूप में, उन्होंने अपने रथों से घोड़ों का दान किया, चांदी, मिट्टी या अन्य सामग्रियों से बने घोड़ों की भी पेशकश करने की एक कालातीत परंपरा की शुरुआत करी। इसके अतिरिक्त, शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर में श्री कृष्ण और बलराम के सिर का ।मुंडन भी हुआ था तभी से यहाँ भक्त अपने शिशुओं का भी शुभ मुंडन समारोह में मुंडन करवाते है।
51 शक्तिपीठों की ये यात्रा आप सबके साथ बहुत ही सुंदर रही, इस पॉडकास्ट के अंतिम एपिसोड में हम चल रहे हैं माता के अंतिम धाम क्योंकि इस स्थान का न कोई आदि है न अंत है. वो अनंता यहां अनंत तक के अपने पूर्ण वास में है. उत्तर प्रदेश की राजधानी से 286 km और लगभग 6 घंटे की दूरी पर और प्रयागराज से 83 km...
Published 02/16/24
माता सती का यशोरेश्वरी शक्तिपीठ का अर्थ है जैसोर की देवी, पहले ये पूरा स्थान जैसोर के नाम से ही जाना जाता था, किंतु अब एक जिले तक सिमट कर रह गया है. यहां के स्थानीय हिंदू लोगों की ये कुल देवी है. यहां की शक्ति है मां यशोरेश्वरि और भैरव को चंद्र के नाम से पूजा जाता है. मान्यता है की इस स्थान पर...
Published 02/15/24