Navratri Kanya Pujan Vidhi नवरात्रि कन्या पूजन विधि
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Navratri Kanya Pujan Vidhi नवरात्रि कन्या पूजन विधि ★ नवरात्रि की सभी तिथियों को एक-एक कन्या और नवमी को नौ कन्याओं के विधिवत पूजन का विधान है। यदि नौ नहीं कर पाते तो सात पांच या तीन कन्याओं की पूजा करें, संख्या विषम ही होनी चाहिए। शास्त्रों में कन्या पूजन का मंत्र भी बताया गया है। सरल मंत्र है, पूजन या आरती उतारते समय उसका उच्चारण करना चाहिए. मंत्रः ऊँ मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्। नवदुर्गा आत्मिकां साक्षात् कन्याम् आवाह्यम्।। कन्याओं के साथ एक छोटे बालक को भी रखना चाहि। वह भैरव का प्रतीक होता है। माता जहां भी जाती हैं अपने भैरव को लेकर जाती हैं। -सबसे पहले पूजन के लिए आई कन्याओं पर जल छिड़कर रोली-अक्षत का तिलक लगाएं। -उसके बाद कन्याओं की आरती उतारें। फिर भैरव की भी आरती उतारें। -आरती के बाद कन्याओं का यथासामर्थ्य प्रिय भोजन कराएं। -भोजन के बाद आदरसहित उनका हस्त प्रक्षालन कराएं और जाने-अनजाने हुए किसी भी प्रकार के भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे। -फिर पैर छूकर उन्हें यथाशक्ति दान देकर विदा करना चाहिए। विदा करते समय निवेदन करें कि आप सदैव हमारे घर में शुभकार्यों में पधारती रहें।
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