समापन है शिशिर का अब, मधुर मधुमास आया है।
सभी आनंद में डूबे, अपरिमित हर्ष छाया है॥
सुनहरे सूत को लेकर, बुना किरणों ने जो कम्बल।
ठिठुरते चाँद तारों को, दिवाकर ने उढ़ाया है॥
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समर्पित काव्य चरणों में, बनाई छंद की माला।
नमन है वागदेवी को, सुमन ‘अवि’ ने चढ़ाया है॥
गीतकार - विवेक...
Published 03/08/24