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निरसन का अर्थ है - दूर करना। यहां धर्म सांसारिक नहीं, आपकी वृत्ति ही आपका स्वधर्म है। कई बार जीवन में ऐसी परिस्थितियाँ आती हैं कि मनुष्य अपनी प्रवृत्ति के विपरीत जाना चाहता है... जिस स्वभाव का वो है ही नहीं वो बनने का प्रयास करता है.. तो उथल-पुथल भी होगी ही। क्या ऐसी किसी परिस्थिति में आप फंसे हैं? यदि हाँ.... तो सुनिए.. विनोबा भावे जी की पुस्तक 'गीता प्रवचन' का ये अंश।
Published 10/12/20
आज के युग में कर्तव्य निष्ठ होना बहुत बङी बात है.. पर जब सामने अपने हों तब क्या हो जाता है? मोह, आसक्ति क्या है? अर्जुन की हालत न्यायाधीश जैसी क्यों हो गई... आइए सुनते हैं....
Published 07/26/20
इस संसार में कोई भी केवल दोषपूर्ण नहीं। मित्रों कोई भी perfect नहीं चाहे भीष्म हो या युधिष्ठिर और ऐसा भी नहीं है कि कर्ण और दुर्योधन में केवल अवगुण ही थे.. ।
Published 06/28/20
Published 06/28/20
Published 06/26/20