सह ली कितनी यातना
कर्तव्य सर्वोपरि रखा
त्याग, शील, संकल्प को
जिस तरह जीवित रखा..
बोलो कहाँ तक टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो..
कल मुकुट जिस पर साजना था
अब उसे सबकुछ त्यागना था..
निर्णयों के द्वन्द से,
एक बालपन का सामना था..
वचन भी था थामना,
आदेश भी था मानना..
तब इस तरह सोचो स्वयं को
धर्म पर...
Published 08/27/21