सिर छिपाने की जगह | राजेश जोशी
न उन्होंने कुंडी खड़खड़ाई न दरवाज़े पर लगी घंटी बजाई
अचानक घर के अन्दर तक चले आए वे लोग
उनके सिर और कपड़े कुछ भीगे हुए थे
मैं उनसे कुछ पूछ पाता, इससे पहले ही उन्होंने कहना शुरू कर दिया
कि शायद तुमने हमें पहचाना नहीं ।
हाँ...पहचानोगे भी कैसे
बहुत बरस हो गए मिले...
Published 06/27/24