Maut Ik Geet Raat Gaati Thi | Firaq Gorakhpuri
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Description
मौत इक गीत रात गाती थी ज़िन्दगी झूम झूम जाती थी ज़िक्र था रंग-ओ-बू का और दिल में तेरी तस्वीर उतरती जाती थी वो तिरा ग़म हो या ग़म-ए-आफ़ाक़ शम्मअ  सी दिल में झिलमिलाती थी ज़िन्दगी  को रह-ए-मोहब्बत में मौत ख़ुद रौशनी दिखाती थी जल्वा-गर हो रहा था कोई उधर धूप इधर फीकी पड़ती जाती थी ज़िन्दगी ख़ुद को राह-ए-हस्ती में कारवाँ कारवाँ छुपाती थी हमा-तन-गोशा ज़िन्दगी थी फ़िराक़  मौत धीमे सुरों में गाती थी
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Published 06/30/24
Published 06/30/24
उठ जाग मुसाफ़िर | वंशीधर शुक्ल उठ जाग मुसाफ़िर! भोर भई,  अब रैन कहाँ जो सोवत है।  जो सोवत है सो खोवत है,  जो जागत है सो पावत है।  उठ जाग मुसाफ़िर! भोर भई,  अब रैन कहाँ जो सोवत है।  टुक नींद से अँखियाँ खोल ज़रा  पल अपने प्रभु से ध्यान लगा,  यह प्रीति करन की रीति नहीं  जग जागत है, तू सोवत है।  तू...
Published 06/29/24