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जुग सहस्त्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥ 18 ॥ जो सूर्य इतने योजन दूरीपर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजारों युग लगें। उस हजारों योजन दूरीपर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।उन्होने जन्म लिया तब प्रभात का उगता हुआ सूर्यबिम्ब देखा और उसे पकडने के लिए छलांग मारी। फल सोंचकर ही सहज स्वभाव के अनुसार कपि हनुमान कुदे थे। #HanumanChalisa #HanumanKatha
Published 02/12/21
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥ 17 ॥ जब हनुमानजी लंका में सीता माता की खोज कर रहे थे तब लंका में तमोगुणी आचार व्यवहार के बीच श्री हनुमानजी को प्रभु कृपा से संत विभीषण का घर दिखलायी देता है। उसी समय विभीषण जाग उठते हैं राम राम का उच्चारण करते हैं। आपके उपदेश का विभीषण ने पूर्णत पालन किया, इसी कारण वे लंका के राजा बनें, इसको सब संसार जानता है। #HanumanChalisa #HanumanKatha 
Published 02/11/21
हनुमान चालीसा की सोलहवीं, चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा आधी शक्ति  तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥ 16 ॥ आपने सुग्रीवजी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया जिसके कारण वे राजा बने। भगवान श्रीराम सुग्रीव मैत्री के स्थापन में हनुमानजी की मुख्य भुमिका थी। यदि सुग्रीव को हनुमान जैसे कुशल, दूरदर्शी, मंत्री का सानिध्य प्राप्त नहीं होता  कभी स्वप्न में भी बलशाली बालि के रहते सुग्रीव को किष्किन्धा का राज्य, अपहृत पत्नी और राज्य वैभव प्राप्त होता। #HanumanChalisa #HanumanKatha
Published 02/10/21
हनुमान चालीसा की पंद्रहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा - बाण की खोज   यम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते ॥ 15 ॥ तुलसीदासजी लिखते है कि स्वयं धर्मात्मा यमराज, कुबेर, सभी दिक्पाल, पंडित कवि ये सभी हनुमानजी के गुणों का तथा निर्मल यश का गुणगान करते हैं। इन सभी को हनुमत चरित्र सुंदर, आकर्षक, दिव्य एवं भव्य लगा तथा उन्होने हनुमानजी में अनन्त गुण देखे इसीलिए वे कहते हैं कि हम भी हनुमानजी के गुणों का पूरी तरह से वर्णन नहीं कर सकते।
Published 02/09/21
हनुमान चालीसा की चौदहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा - बही खाता  सनकादिक ब्रम्हादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा ॥ 14 ॥ तुलसीदासजी यहाँ पर यह कहना चाहते हैं कि श्री हनुमानजी की प्रशंसा केवल भगवान राम ने ही नहीं की अपितु सृष्टि के ब्रम्हाजी द्वारा उत्पन्न मानस पुत्र सनकादिक मुनि भगवान के मन के अवतार श्री नारदजी तथा आदि शक्ति माता सरस्वती जी इत्यादि सभी हनुमानजी के गुणों का गुणगान करते हैं।
Published 02/08/21
हनुमान चालीसा की तेरहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा भ्रम टूट गया  सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥ 13 ॥ श्रीराम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया कि तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।  जिस प्रकार भगवान श्रीराम और भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लेकर इस सृष्टि में आकर इसकी महिमा बढायी। उसी प्रकार श्री हनुमानजी ने भक्ति की महिमा बढाई, इसीलिए ऐसे भगवान के परम भक्त के यश की सारा संसार प्रशंसा करता है। #HanumanChalisa #HanumanKatha
Published 02/06/21
हनुमान चालीसा की बारहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा - केले का पता रघुपति कीन्ही बहुत बडाई।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥ 12 ॥ तुलसीदासजी लिखते हैं कि हनुमान जी की प्रशंसा करते हुए भगवान कहते हैं कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो यानी तुम मेरे हो यह भगवान अपने मुख से भक्त के लिये कहना यह भक्ति का अन्तिम फल है। हनुमान जी भगवान का कार्य करने को हमेशा आतुर रहते हैं।भगवान,  मै तुम्हारा हूँ  इस स्थिति पर पहुँचना हो तो उसके लिये साधना कौन सी है? #HanumanChalisa #HanumanKatha
Published 02/05/21
हनुमान चालीसा की ग्यारहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ  हनुमान कथा - राम नाम लाय सजीवन लखन जिवाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥ 11 ॥ हे हनुमानजी आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जीवित कर दिया | जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको अपने हृदय से लगा लिया।  जिस प्रकार मनुष्य के साथ उसकी छाया का होना निश्चित है, उसी प्रकार रामजी के आते ही लक्ष्मण जी और का आना हनुमान जी का आना अनिवार्य ही है। #HanumanChalisa #HanumanKatha
Published 02/04/21
हनुमान चालीसा की दसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा अमृत बूटी भीम रुप धरि असुर संहारे। "रामचंद्र के काज संवारे ॥ 10 ॥ आपने विकराल रुप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्धेश्यों को सफल बनाने में सहयोग दिया। यहाँ पर तुलसीदासजी का लिखने का अभिप्राय यह है कि हनुमानजी भगवान का कार्य करते थे, तथा कार्य करते समय उसमें आसुरी वृत्ति के लोग बाधा उत्पन्न करते थे तो उनका उन्होने संहार किया। #HanumanChalisa #HanumanKatha
Published 02/03/21
तुलसीदास जी लिखते है हनुमान जी ने सीता माता को अपना छोटा रुप दिखाया इसका तात्पर्य यह है कि जीव कितना ही बडा क्यों न हो परन्तु माता के सामने उसे छोटा ही होना चाहिए।तथा उन्होने आगे लिखा है बिकट रुप धरि लंक जरावा अर्थात जीव भले ही सूक्ष्म हो परंतु उसमें अपार शक्ति होती है तथा उस शक्ति का उपयोग भगवान का साधन बनकर बडे से बडा काम कर सकता है। सूक्ष्म रुप धरि सियहिं देखावा। बिकट रुप धरि लंक जरावा ॥ 9 ॥ #HanumanChalisa #HanumanKatha
Published 02/02/21
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया ॥ 8 ॥ आप श्रीराम के चरित्र सुनने में आनन्द रस लेते हैं तथा श्रीराम सीता और लक्ष्मण आपके हृदय में बसते हैं। भगवान की कथा में प्रेम होना भक्ति का एक लक्षण है।हनुमानजी का श्री राम कथा नुराग पराकाष्ठा को प्राप्त है जिस की कोई सीमा नहीं है । सच तो यह है कि श्री हनुमानजी ने श्रीराम कथा को जीवन धारा ही बना लिया हैं।
Published 02/01/21
हनुमान चालीसा की सातवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा विद्या प्राप्ति विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर ॥ 07॥ हे शंकर के अवतार, हे केशरी नन्दन, आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है। श्री हनुमानजी के शंकर सुवन, रुद्रावतार या रुद के अंश से उत्पन्न होने के सम्बंध में अनेक कथाएँ मिलती है। एक बार शिवजी ने श्री रामचन्द्रजी की स्तुति की और यह वर मांगा कि हे प्रभो, मैं दास के भाव से आपकी सेवा करना चाहता हूँ , इसलिए कृप्या मेरे इस मनोरथ को पूर्ण...
Published 01/30/21
हनुमान चालीसा की छठी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा हनुमद रामायण  शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥ 6॥ हे शंकर के अवतार, हे केशरी नन्दन, आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है। श्री हनुमानजी के शंकर सुवन, रुद्रावतार या रुद के अंश से उत्पन्न होने के सम्बंध में अनेक कथाएँ मिलती है। एक बार शिवजी ने श्री रामचन्द्रजी की स्तुति की और यह वर मांगा कि हे प्रभो, मैं दास के भाव से आपकी सेवा करना चाहता हूँ , इसलिए कृप्या मेरे इस मनोरथ को पूर्ण किजिए। #HanumanChalisa...
Published 01/29/21
हनुमान चालीसा की पांचवी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा उपनयन संस्कार | हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेउ साजै ॥5॥  आपके हाथ में बज्र और ध्वजा हैं तथा कांधे पर मूंज जनेऊ की शोभा है। तुलसीदासजी यहाँ हनुमानजी के स्वरुप का वर्णन करते हुए लिखते हैं कि श्री हनुमानजी का हाथ वज्र के समान है तथा उनके हाथ में रामनाम की ध्वजा है। इसका संकेत यह है कि हमें भी हनुमानजी की तरह प्रभु कार्य के लिए वचनबद्ध प्रण लेकर प्रभु नाम और काम की ध्वजा हाथ मे लेनी चाहिए। #HanumanChalisa #HanumanKatha
Published 01/28/21
हनुमान चालीसा की चौथी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा हनुमान जी को क्यों पसंद हैं सिंदूर कंचन बरन बिराज सुवेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥ ॥4॥  तुलसीदासजी जैसे संत जब भगवान का ध्यान करते है, समाधी लगाते है | तब वे समाधी मे तल्लीन हो जाते है तथा उनको भगवान का शरीर, आभूषण, कुण्डल, केस इत्यादि सब सुन्दर लगते है। हमारे जैसे सामान्य इन्सान भी जब  प्रेम करते है, उस वक़्त हमें भी उसकी आँख, नाक, कान, सुन्दर लगते हैं। यहाँ तुलसीदासजी वर्णन करते है कि हनुमान जी का शरीर सोने की तरह चमक रहा है...
Published 01/27/21
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी ॥3॥  तुलसीदासजी लिखते हैं हनुमानजी कैसे हैं महावीर बिक्रम बजरंगी हनुमानजी वीरता की साक्षात् प्रतीमा एवं शक्ति तथा बल पराक्रम की जीवंत मूर्ति है। भारतीय मल्लविद्या के ये ही परम इष्ट है, आप कभी अखाडों मे जायँ तो वहाँ आपको महावीर की प्रतीमा अवश्य मिलेगी। उनके चरणों का स्पर्श करके ही पहलवान अपना कार्य प्रारंभ करते है। जिसमें पांच प्रकार की वीरता हो उसे वीर कहते हैं  #HanumanChalisa #HanumanKatha
Published 01/25/21
राम दूत अतुलित बल-धामा। अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ 2॥ अंजनी नन्दन श्री रामदूत  आपके समान दूसरा कोई बलवान नहीं है। पवनपुत्र श्री हनुमान जी के लिये अनेक भक्तों और कवियों ने अनेक प्रकार के गुण सूचक नाम का प्रयोग किया है। उन्हे अतुलित बलधाम, स्वर्ण पर्वत के समान चमचमाते शरीर वाला, और वायु का पुत्र, ज्ञानियों मे सबसे प्रथम कहा गया है ।संपूर्ण गुणों के से युक्त , वानरों के राजा और श्रीराम का श्रेष्ठ दूत कहा गया है।  #HanumanChalisa #HanumanKatha
Published 01/23/21
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिंहुँ लोक उजागर॥1॥ श्री हनुमानजी आपका ज्ञान और गुण अथाह है।आपकी जय , तीनों लोकों  स्वर्ग-लोक, भू-लोक, और पाताल-लोक  में आपकी कीर्ति और यश फला हुआ है। भगवान और उनके भक्तों के गुणों का वर्णन कोई मनुष्य कैसे कर सकता है।जो महापुरुष हो गये हैं, उन्हे गुणों की भूख रहती थी, उन्हे ऐसा लगता था कि जब भगवान के पास जाऊँगा तब सभी अच्छे गुणों को धारण कर जाऊँगा। #HanumanChalisa #HanumanKatha
Published 01/22/21
बुद्धिहिन तनु जानिके सुमिरों पवन-कुमार।  बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं हरहु कलेस विकार॥ हनुमान चालीया के प्रारंभ में गु़रू वन्दना करने के पश्चात् उन्होने हनुमानजी की वन्दना करते हुए राम चरित्र लिखने का संकल्प किया है। तुलसीदासजी ने अपना संकल्प हनुमानजी को बता चुके हैं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है, मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दु:ख व दोषों का नाश कर दीजिए।
Published 01/21/21
श्रीगुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुरु सुधारी।   बरनऊं रघुवर बिमल जसु जो दायक फल चारि॥ तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा की शुरुआत गुरु वंदना से कि है, हमारी संस्कृति में गुरु को बहुत अधिक सम्मान दिया गया है। अज्ञान के अंधकार को दूर करने के लिए ज्ञान का प्रकाश जलाने वाले गुरु होते है। जीवनहीन और पशुतुल्य बने मानव को देवत्व की ओर ले जाने के लिए जिस व्यक्ति की आवश्यकता रहती है वह गुरु ही है। #HanumanChalisa #HanumanKatha
Published 01/20/21
हम सब हनुमान चालीसा पढते हैं, सब रटा रटाया. क्या हमें चालीसा पढते समय पता भी होता है, कि हम हनुमानजी से क्या मांग रहे हैं? या फिर बस रटा रटाया बोलते जाते हैं.  फल शायद तभी मिलेगा जब हमें इसका मतलब भी पता हो. श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित
Published 01/19/21
वृंदा ही तुलसी थी, जिसे भगवान गणेश ने असुर से शादी का श्राप दिया था. भगवान शिव के गणेश और कार्तिकेय के अलावा एक और पुत्र थे, जिनका नाम था जलंधर, वो सुर प्रवत्ति का था. वह खुद को सभी देवताओं से ज्यादा शक्तिशाली समझता था उसकी वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। उसी के प्रभाव से वह विजयी बना हुआ था। 
Published 12/07/20
भगवान् गणेश जो प्रत्येक कार्य में और प्रत्येक पूजा में सर्वप्रथम पूजे जाते है| जो तुलसी पत्र भगवान् विष्णु को अत्यंत प्रिय है , वही तुलसी पत्र भगवान् गणेश को इतनी अप्रिय क्यों है  आखिर क्यों गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है. आइए जानते हैं इस की पौराणिक कथा
Published 11/18/20
जगन्नाथपुरी धाम में आज भी ठाकुर जी को सर्वप्रथम मारवाड़ की करमा बाई की रसोई का भोग लगता है। जगन्नाथपुरी रथयात्रा के रथ में ठाकुर जी की मूर्ति के साथ करमा बाईसा की मूर्ति विद्यमान रहती है बिना करमा बाईसा की मूर्ति रथ में रखे, रथ  हिलता भी नहीं है
Published 11/02/20
अजगर एक विशालकाय और आलसी जानवर के रूप में जाना जाता है, जो कोई काम नहीं करता है,उसी तरह पंक्षी भी कोई काम नहीं करता है।क्योंकि उनके लिए ईश्वर हैं जो उनके जीवन यापन की व्यवस्था करते हैं। अजगर करे ना चाकरी, पंछी करे ना काम, दास मलूका कह गए, सब के दाता राम !इस कथन के पीछे मलूका दास के नास्तिक से आस्तिक बनने की कहानी है, 
Published 10/19/20