Description
अग्निपथ | हरिवंश राय बच्चन
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
औरत की गुलामी | डॉ श्योराज सिंह ‘बेचैन’
किसी आँख में लहू है-
किसी आँख में पानी है।
औरत की गुलामी भी-
एक लम्बी कहानी है।
पैदा हुई थी जिस दिन-
घर शोक में डूबा था।
बेटे की तरह उसका-
उत्सव नहीं मना था।
बंदिश भरा है बचपन-
बोझिल-सी जवानी है।
औरत की गुलामी भी-
एक लम्बी कहानी है।
तालीम में कमतर...
Published 06/16/24
चल इंशा अपने गाँव में | इब्ने इंशा
यहाँ उजले उजले रूप बहुत
पर असली कम, बहरूप बहुत
इस पेड़ के नीचे क्या रुकना
जहाँ साये कम,धूप बहुत
चल इंशा अपने गाँव में
बेठेंगे सुख की छाओं में
क्यूँ तेरी आँख सवाली है ?
यहाँ हर एक बात निराली है
इस देस बसेरा मत करना
यहाँ मुफलिस होना गाली है
जहाँ सच्चे रिश्ते...
Published 06/15/24