Tahniyan | Jaiprakash Kardam
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Description
टहनियाँ | जयप्रकाश कर्दम काटा जाता है जब भी कोई पेड़ बेजान हो जाती हैं टहनियां बिना कटे ही पेड़ है क्योंकि टहनियां हैं टहनियां हैं क्योंकि पेड़ है अर्थहीन हैं एक दूसरे के बिना पेड़ और टहनियां ठूंठ हो जाता है पेड़ टहनियों के अभाव में टहनियां हैं पेड़ का कुनबा पेड़ ने देखा है अपने कुनबे को बढते हुए टहनियों ने देखा है पेड़ को कटते हुए कटकर गिरने से पहले अंतिम शंवास तक संघर्ष करते हुए टहनियां उदास हैं कि पेड़ कट गया पेड़ उदास है कि टहनियां कटेंगी उन पर भी चलेगी कुल्हाड़ी कटते रहेंगे कब तक पेड़ ज़रूरतों के नाम पर सूखते रहेंगे स्रोत टहनियों के क्यों ज़िंदा नहीं रह सकता पेड़ अपनी टहनियों के साथ।
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मेरे बेटे | कविता कादम्बरी मेरे बेटे                                                       कभी इतने ऊँचे मत होना  कि कंधे पर सिर रखकर कोई रोना चाहे तो  उसे लगानी पड़े सीढ़ियाँ  न कभी इतने बुद्धिजीवी  कि मेहनतकशों के रंग से अलग हो जाए तुम्हारा रंग  इतने इज़्ज़तदार भी न होना  कि मुँह के बल गिरो तो...
Published 06/26/24
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Published 06/25/24
Published 06/25/24