Pura Parivaar Ek Kamre Mein | Laxmi Shankar Bajpai
Listen now
Description
पूरा परिवार एक कमरे में | लक्ष्मीशंकर वाजपेयी पूरा परिवार, एक कमरे में कितने संसार, एक कमरे में। हो नहीं पाया बड़े सपनों का छोटा आकार, एक कमरे में। ज़िक्र दादा की उस हवेली का सैंकड़ों बार, एक कमरे में। शोरगुल, नींद, पढ़ाई, टी.वी. रोज़ तकरार, एक कमरे में। एक घर, हर किसी की आँखों में सबका विस्तार, एक कमरे में।
More Episodes
मेरे बेटे | कविता कादम्बरी मेरे बेटे                                                       कभी इतने ऊँचे मत होना  कि कंधे पर सिर रखकर कोई रोना चाहे तो  उसे लगानी पड़े सीढ़ियाँ  न कभी इतने बुद्धिजीवी  कि मेहनतकशों के रंग से अलग हो जाए तुम्हारा रंग  इतने इज़्ज़तदार भी न होना  कि मुँह के बल गिरो तो...
Published 06/26/24
बाद के दिनों में  प्रेमिकाएँ | रूपम मिश्रा  बाद के दिनों में प्रेमिकाएँ पत्नियाँ बन गईं वे सहेजने लगीं प्रेमी को जैसे मुफलिसी के दिनों में अम्मा घी की गगरी सहेजती थीं वे दिन भर के इन्तजार के बाद भी ड्राइव करते प्रेमी से फोन पर बात नहीं करतीं वे लड़ने लगीं कम सोने और ज़्यादा शराब पीने पर प्रेमी जो...
Published 06/25/24
Published 06/25/24